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अमाले शबे कद्र हिंदी,amaal e shab e qadr in hindi,

Amaal-e-Shab-e-Qadr in Hindi*
उन्नीसवी रात यह शबे क़द्र की पहली रात है और शबे
क़द्र के बारे में कहा गया है कि यह वह रात है जो पूरे
साल की रातों से अधिक महत्व और फ़ज़ीलत रखती है,
और इसमें किया गया अमल हज़ार महीनों के अमल से
बेहतर है शबे क़द्र में साल भर की क़िस्मत लिखी जाती
है और इसी रात में फ़रिश्ते और मलाएका नाज़िल होते
हैं और इमाम ज़माना (अ) की ख़िदमत में पहुंचते हैं और
जिसकी क़िस्मत में जो कुछ लिखा गया होता है
उसको इमाम ज़माना (अ) के सामने पेश करते हैं। इसलिए
हर मुसलमान को चाहिए कि इस रात में पूरी रात
जागकर अल्लाह की इबादत करे और दुआएं पढ़ता रहे और
अपने आने वाले साल को बेहतर बनाने के लिए अल्लाह
से दुआ करे।
शबे क़द्र के आमाल दो प्रकार के हैं: एक वह आमाल हैं जो
हर रात में किये जाते हैं जिनको मुशतरक आमाल कहा
जाता है और दूसरे वह आमाल हैं जो हर रात के विशेष
आमाल है जिन्हें मख़सूस आमाल कहा जाता है।
वह आमाल जो हर रात में किये जाते हैं
1⃣ *ग़ुस्ल* (सूरज के डूबते समय किया जाए और बेहतर है कि मग़रिब व इशा की नमाज़ को इसी ग़ुस्ल के साथ पढ़ा
जाय)
2⃣ दो रकअत नमाज़, जिसकी हर रकअत में एक बार सूरह *अल हम्द* और सात बार सूरह *तौहीद (क़ुल हुवल्लाहो अहद)* पढ़ा जाए। और नमाज़ समाप्त करने के बाद (70) सत्तर बार *अस्तग़फ़ेरुल्लाहा व अतूबो इलैह* पढ़े रिवायत में है कि
जो भी यह करे अल्लाह उसके जगह से उठने से पहले ही उसको और उसके मां बाप को बख़्श देता है।
3⃣ क़ुरआन को खोले और सामने रखने के बाद कहे *अल्ला हुम्मा इन्नी अस्अलोका बेकिताबेकल मुनज़ले वमा फ़ीहे इस्मोकल अकबरो व असमाओकल हुस्ना वमा योख़ाफ़ो व युरजा अन तजअलनी मिन ओताक़ाएक़ा मेनन्नार* उसके बाद दुआ मांगे।
4⃣ क़ुरआन को सर पर रखे और यह दुआ पढ़े *अल्लाहुम्मा बेहक़्क़े हाज़ाल क़ुर्आने व बेहक़्क़े मन अरसलतहु व बेहक़्क़े कुल्ले मोमिनिन मदहतहु फ़ीहे व बेहक़्क़ेका अलैहिम फ़ला अहदा आअरफ़ो बे हक़्क़ेका मिनका*
10 बार कहे *बेका या अल्लाहो*
10 बार कहे *बे मोहम्मदिन*
10 बार कहे *बे अलिय्यिन*
10 बार कहे *बे फ़ातेमता*
10 बार कहे *बिल हसने*
10 बार कहे *बिल हुसैने*
10 बार कहे *बे अलीयिब्निल हुसैने*
10 बार कहे *बे मोहम्मदिबने अली*
10 बार कहे *बे जाफ़रिबने मोहम्मद*
10 बार कहे *बे मुसा इब्ने जाफ़ारिन*
10 बार कहे *बे अलीयिबने मूसा*
10 बार कहे *बे मोहम्मद इब्ने अली*
10 बार कहे *बे अली इब्ने मोहम्मदिन*
10 बार कहे *बिल हसनिबने अलीयिन*
10 बार कहे *बिल हुज्जते क़ाएमे* (अजफज)
इसके बाद जो भी चाहे दुआ मांगे।
5⃣ *ज़ियारते इमाम हुसैन* (अ) रिवायत में है कि जब शबे क़द्र आती है तो आवाज़ देने वाला सातवें आसमान से
आवाज़ देता है कि ख़ुदा ने बख़्श दिया उसको जो इमाम हुसैन (अ) की क़ब्र की ज़ियारत करे।
6⃣ *इस रात मे जागना* रिवायत में आया है कि जो भी इस रात को (ख़ुदा की इबादत में ) जागे ख़ुदा उसके पापों को क्षमा कर देता है चाहे वह आसमान के
सितारों से ज़्यादा और पहाड़ों एवं नदियों से भी अधिक भारी ही क्यों न हों।
7⃣ *100 (सौ) रकअत नमाज़ पढ़े* जिसकी बहुत फ़ज़ीलत है और बेहतर यह है कि हर रअकत में *सूरह अल हम्द* के बाद *10 (दस) बार सूरह क़ुल हुवल्लाहो अहद* पढ़े।
8⃣ *इस दुआ को पढ़े*
*ﺍَﻟﻠّﻬُﻢَّ ﺍِﻧّﯽ ﺍَﻣﺴَﯿﺖُ ﻟَﮏَ ﻋَﺒﺪًﺍ ﺩﺍﺧِﺮًﺍ ﻻ ﺍَﻣﻠِﮏُ ﻟِﻨَﻔﺴﯽ ﻭَ ﺍَﻋﺘَﺮِﻑ*
ُ (पूरी दुआ मफ़ातीहुल जनान में देख लें)
*हर रात के विशेष आमाल*
*19 (उन्नीसवी) रात के आमाल*
1⃣ *100 (सौ)* बार कहे *अस्तग़फ़ेरुल्लाहा रब्बी व अतूबो इलैहे*
2⃣ *100 (सौ)* बार कहे *अल्लाहुम्मल अन क़तलता अमीरल मोमिनीना*
3⃣ *यह दुआ पढ़े*
*يا ذَا الَّذي كانَ قَبْلَ كُلِّ شَيء، ثُمَّ خَلَقَ كُلَّ شَيء، ثُمَّ يَبْقى وَيَفْنى كُلُّ شَيء، يا ذَا الَّذي لَيْسَ كَمِثْلِهِ شيءٌ، وَيا ذَا الَّذي لَيْسَ فِي السَّماواتِ الْعُلى، وَلا فِى الاَرَضينَ السُفْلى، وَلا فَوقَهُنَّ وَلا تَحْتَهُنَّ، وَلا بَيْنَهُنَّ اِلـهٌ يُعْبَدُ غَيْرُهُ لَكَ الْحَمْدُ حَمْداً لا يَقْوى عَلى اِحْصائِهِ إلاّ اَنْتَ، فَصَلِّ عَلى مُحَمَّد وَآلِ مُحَمِّد صَلاةً لا يَقْوى عَلى اِحْصائِها إلاّ اَنْتَ*
ya zal lazy kana qabla kulli shay‘in summa khalaqa kulla shay‘in summ yabqa wa yafna kullu shay‘in ya zal lazy laysa kamis lehi shay‘un wa ya zal lazy laysa fi samawati al`ula wa la fi arzeenas sufla wa la fawqahunna wa la tahtahunna wa la baynahunna ilahun yu`badu ghayruhu laka alhamdu hamdan la yaqwa `ala ihsa’ihi illa anta fasalli `ala muhammadin wa ali muhammadin salatan la yaqwa `ala ihsa’iha illa anta
4⃣ *यह दुआ पढ़े*
*اَللَّهُمَّ اجْعَلْاَللَّهُمَّ اجْعَلْ فيما تَقْضي وَتُقَدِّرُ مِنَ الأمْرِ الْمَحْتُومِ وَفيما تَفْرُقُ مِنَ الأَمْرِ الْحَكيمِ في لَيْلَةِ الْقَدْرِ مِنْ القَضَاءِ الّذِي لاَ يُرَدُّ وَلاَ يُبَدَّلُ أَنْ تَكْتُبَنِي مِنْ حُجّاجِ بَيْتِكَ الْحَرامِ الْمَبْرُورِ حَجُّهُمُ الْمَشْكُورِ سَعْيُهُمْ الْمَغْفُورِ ذُنُوبُهُمُ وَأَسْاَلُكَ أَنْ تُطيلَ عُمْري في طاعَتِكَ وَتُوَسِّعَ لي في رِزْقي*
ALLAAHUMMAJ-A’L FEEMAA TAQZ”EE WA FEEMAA TUQADDIRU MINAL AMRIL MAH’TOOM WA FEEMA TAFRUQU MINAL AMRIL H’AKEEM FEE LAYLATIL QADR MINAL QAZ”AAA-IL LAD’EE LAA YURADDU WA LAA YUBADDALU AN TAKTUBANEE MIN H’UJJAAJI BAYTIKAL H’ARAAM FEE A’AMEE HAAD’AL MABROOR H’UJJUHUMUL MASHKOOR SAA’-YUHUMUL MAGHFOOR D’UNOOBUHUMAL MUKAFFARI A’NHUM SAYYI-AATUHUM WAJ-A’L FEEMA TAQZ”EE WA TAQADDIRU AN TUT’EEL U’MREE WA TUWASSI-A’LEE FEE RIZQEE
5⃣ *जौशन कबीर और जौशन सग़ीर* पढ़े
*21 (एक्कीसवी) रात*
इस रात की फ़ज़ीलत उन्नीसवी रात से भी अधिक है इस रात में भी मुश्तरक आमाल के साथ साथ ही दुआ ए जौशन कबीर जौशन सग़ीर आदि को पढ़ा जाए और
इस रात के लिए रिवायतों में ग़ुस्ल नमाज़, इबादत आदि की बहुत ताकीद की गई है।
*इमाम सादिक़ (अ)* फ़रमाते हैं कि कार्य और क़िस्मतें उन्नीसवी रात को लिखी जाती हैं और एक्कीसवी रात को मुस्तहकम होती है और तेइसवीं रात को उन पर हस्ताक्षर किया जाता है। (वसाएलुश्शिया जिल्द 7 पेज 259)
*23 (तेइसवी) रात के आमाल*
यह रात बहुत ही अधिक फज़ीलत वाली है *इमाम सादिक़ (अ)* की रिवायत के अनुसार इस रात को हमारी क़िस्मतों पर हस्ताक्षर होते हैं और साल भर के
लिए हमारी क़िस्मतों पर मोहर लगती है इसलिए हमको चाहिए कि इस रात में जितना हो सके इबादत में मसरूफ़ रहें और ख़ुदा से अपने और शियों के लिए
बेहतरीन चीज़ को मांगें और दुआ करें कि अल्लाह हम पर अपनी रहम वाली निगाह डाले। इस रात में भी मुश्तरक आमाल के साथ साथ ही दुआ ए जौशन कबीर जौशन सग़ीर आदि को पढ़ा जाए और सूरह *अनकबूत, रूम और दुख़ान* पढ़े
*1000 (एक हज़ार)* बार *सूरह इन्ना अनज़लना* पढ़ना।
*�इमामे ज़मान (अ)* के लिए दुआ
*तेइसवीं रात* की दुआ
या रब्बा लैलतिल क़द्रे व जाएलाहा ख़ैरन मिन अलफ़े शहरिन व रब्बल लैइले वन्नहारे वल जिबाले वल बेहारे वज़्ज़ोलमे वलअनवारे वलअरज़े वस्समाए या बारिओ
या मुसव्वेरो या हन्नानो या मन्नानो या
अल्लाहो या रहमानो या अल्लाहो या क़य्यूमो या अल्लाहो या बदीओ या अल्लाहो या अल्लाहो या अल्लाहो लकल अस्माउल हुसना वल अमसालुल उलया वल किबरियाओ वल आलाओ अस्अलोका अल तोसल्ले अला मोहम्मदिन व आले मोहम्मदिन व अल तजअला इस्मी फ़ी हाज़िहिल
लैइलते फ़िस सअदाए व रूही मअश्शोहदाए व एहसानी फ़ी इल्लीयीना व एसाअती मग़फ़ूरतन व अन तहबली
यक़ीनन तोबाशेरो बिहि क़ल्बी व ईमानन
युज़हबुश्शक्का अन्नी व तर्ज़ीनी बेमा क़समता ली वातेना फ़िद्दुनिया हसनतन व फ़िल आख़ेरते हसनतन व क़िना अज़ाबन्नारिल हरीक़े वर ज़ुक़नी फ़ीहा
ज़िकरका व शुकरका वर्रग़बतन इलैका वल इनाबतन वत्तौबतन वत्तौफ़ीक़ा लेमा वफ़्फ़क़ता लहु मोहम्मदन व आले मोहम्मदिन अलैहेमुस्सलाम।
YAA RABBA LAYLATIL QADR WA JAA-I’LAHAA KHAYRAN MIN ALFI SHAHR WA RABBAL LAYLIWAN NAHAAR WAL JIBAALI WAL BIH’AAR WAZ’ZULAMI WAL ANWAAR WAL ARZ”I WA SAMAAA
YAA BAARI-U YAA MUS’AWWIR YAA H’ANNAANU YAA MANNAAN YAA ALLAAHU YAA RAH’MAAN YAA ALLAAHU YAA QAYYOOM YAA ALLAAHU YAA BADEE-U’ YAA ALLAAH YA ALLAH YAA ALLAAH
LAKAL ASMAAA-UL H’USNAA WAL AMTHAALUL U’LYAA WAL KIBRIYAAA WAL AALAAA-U AS-ALUKA AN TUS’ALLIYA A’LAA MUH’AMMADIN WA AALI MUH’AMMAD WA AN TAJ-A’LAS-MEE FEE HAAD’IHIL LAYLATIS FIS SU-A’DAAA-I WA ROOH’EE MA-A’SH SHUHADAAA-I WA IH’SAANEE FEE I’LLIYYEENA WA ISAAA-ATEE MAGHFOORAH WA AN TAHABA LEE YAQEENAN TUBAASHIRU BIHEE QALBEE WA EEMAANAN YUD’HIBUSH SHAKKA A’NNEE WA TURZ”IYANEE BIMAA QASAMTA LEE WA AATINAA FID DUNYAA H’ASANATAN WA FIL AAKHIRATI H’ASANATAN WA QINAA A’DAABAN NAARIL H’AREEQ WAR-ZUQNEE FEEHAA D’IKRAKA WA SHUKRAKA WAR RAGHBATA ILAYKA WAL INAABATA WAT TAWBAH WAT TAWFEEQA LIMAA WAFFAQTA LAHOO MUH’AMMADAN WA AALI MUH’AMMADIN A’LAYHI WA A’LAYHIMUS SALAAM
*यह दुआ पढ़े*
अल्लाहुम्मा कुन लेवलीयेकल हुज्जतिबनिल हसने
सलवातोका अलैहे व अला आबाएही फ़ी
हाज़ेहिस्साअते व फ़ी कुल्ले साअतिन वलीयन व हाफ़ेज़न व क़ाएदन व नासेरन व दलीलन व अयनन हत्ता तुस्केनहु अरज़का तौअन व तोमत्तेअहु फ़ीहा तवीलन या मुदब्बिरल उमूरे या बाइसा मन फ़िल क़ुबूरे या मुजरियल बुहूरे या मुलय्यिनल हदीदे ले दाऊदा सल्ले अला मोहम्मदिन व आले मोहम्मदिन वफ़अल बी कज़ा व कज़ा *(दुआ मांगे)* अल लैइलता अल लैइलता 
*(हाथ आसमान कि ओर उठा कर)*
या मुदब्बिरल उमूरे या बाइसा मन फ़िल क़ुबूरे या मुजरियल बुहूरे या मुलय्यिनल हदीदे ले दाऊदा सल्ले अला मोहम्मदिन व आले मोहम्मदिन वफ़अल बी कज़ा व कज़ा
ALLAAHUMMA KUN LE WALIYYEKAL HUJJATIBNIL HASANIL A'SKARI SALAWAATOKA A'LAYHE WA A'LAA AABAA-EHI FEE HAAZEHIS SAA-A'TE WA FEE KULLE SAA-A'H WALIYYAWN WA HAAFEZAWN WA QAA-EDAWN WA NAASERAWN WA DALEELAWN WA A'YNAA HATTA TUSKENAHU ARZAKA TAW-A'A WA TOMATTEAHU FEEHAA TAWEELAA.
YAA MODABBERAL OMOORE, YAA BAA-E'SA MAN FIL QOBOORE, YAA MUJREYAL BOHOORE YAA MOLAYYENAL HADEEDE LE-DAWOODA SALLE A'LAA MOHAMMADIN WA AALE MOHAMMADIN WAF A'L BEE KAZAA WA KAZAA.
Mention your wishes and say : AL-LAYLATA AL-LAYLATA
Raise your hands towards the sky and recite this Dua:
YAA MODABBERAL OMOORE, YAA BAA-E'SA MAN FIL QOBOORE, YAA MUJREYAL BOHOORE YAA MOLAYYENAL HADEEDE LE-DAWOODA SALLE A'LAA MOHAMMADIN WA AALE MOHAMMADIN WAF A'L BEE KAZAA WA KAZAA
नोट,। अगर इसमें किसी तरह लिखने में गलती हुई हो या आप ना समझ पाएं तो हम से रबेता कर सकते हैं।और ज़रूरी नहीं सभी अामाल को अंजाम दिए जाएं जितना आप से मुमकिन हो खुलुसे दिल के साथ अंजाम दें और हमें भी दुवाओं में याद रखें।इंशाअल्लाह खोदा क़ुबूल करेगा।
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amal e shabe 15shbaan

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