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Showing posts from May, 2020

"अंगूठी के पत्थर का टूट जाना" *dastan no46

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * कहानी नंबर_46*  * * "अंगूठी के पत्थर का टूट जाना" *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * * "यूनुस नक्का़श इमाम अली नक़ी (अ,) के  चाहनेवालों में से एक थे। एक दिन वह परेशानी की स्थिति में इमाम (अ.स.) की खिदमत में आए और कहा:  की खलीफा के एक बड़े ओहदेदार ने मुझे एक पत्थर लाकर दिया और कहा कि उसके लिए एक अंगूठी बनाऊं इसके लिए एक अंगूठी बनाऊं !! इसे बनाते समय, पत्थर दो भागों में टूट गया है, अब मैं  चाहता हूं कि भाग जाऊं, क्योंकि पत्थर बहुत की़मती था! इमाम (अ) ने कहा !! अपने घर में जाओ, अलविदा !!  आप  ख़ैर के अलावा कुछ नहीं देखेंगे । "*  * * "अगले दिन यूनुस को सरकार की तरफ से बुलावा आ गया  और इस कीमती पत्थर के मालिक ने कहा !! मेरे लिए एक समस्या पेश आगई  है, अगर आप इसे हल कर सकते हैं तो बहुत अच्छा होगा !! मेरी दो पत्नियाँ हैं और दोनों में लड़ाई हो रही है!! यदि आप पत्थर को दो भागों में विभाजित करते हैं, तो यह आपके लिए बेहतर होगा, और जो भी मजदूरी है, उसका भुगतान करूंगा। "  * * "जब इमाम (अस) ने इस घटना को सुना, तो आपने  कहा !!  اللَّهُمَّ لَكَ الْح

"जाफरी होने के बारे में ताने" *dastan no 45

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  _ * कहानी संख्या _45*  * * "जाफरी होने के बारे में ताने" *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * * "अबू सबाह कनानी" इमाम जाफ़र सादिक (अ.स.) के सबसे बड़े फकिह और शागिर्द इमाम (अस)थे। "एक दिन वह इमाम सादिक (अ.स.) की खिदमत में थे और उन्होंने अर्ज़ किया कि मौला हम जो आपसे वास्ता और ताल्लुक रखते हैं इस वजह से बहुत दर्दनाक ज़बान के ज़ख्म हम पर लोग लगाते हैं!! इमाम (अ.स.) ने कहा: तुम पर कौनसा जबानी ज़ख्म लगा?तो अबू सबाह ने कहा जब भी कभी लोगों से तू तू मैं मैं हो जाए तो फौरन,,जाफरी खबीस,, कह कर ताना देते हैं।  इमाम (अस) ने कहा: क्या लोग सच में तुम्हें मेरी खातिर सर जनिश करते  हैं? अबू सबाह ने कहा: हाँ !!  इमाम ने कहा: कितने पस्त हैं वो अफ़राद।((फिर इमाम ने फरमाया हमारे सहाबी वह हैं जिनके जेरह शदीद होती हैं और वे केवल अल्लाह की खातिर अमल करते हैं और वे केवल अल्लाह से इस अमल का फल पाने की उम्मीद करते हैं, ये मेरे साथी हैं)) !!  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * संदर्भ: "दस्तानाई उसूल काफ़ी, मोहम्मद मोहम्मदी इश्तारदी, पृष्ठ 442।"  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ ••  share please cont

नसीहत जनाबे लुकमान हकीम (a,s) *dastan no 44

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * कहानी संख्या __ *44  * नसीहत जनाबे लुकमान हकीम (a,s) *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *   * * हजरत लुकमान (؏) ने अपने बेटे से कहा हे मेरे बेटे दो चीज़ को हमेशा याद रखना। और दो बातें  जरूर भूल जाना।*  * 🔶🔹👈🏻दो बातें जिन्हें हमेशा याद रखना है। *  * 1 *अल्लाह *  * 2 * मौत *  * * दो बातें जिन्हें हमेशा भूल जाना है: *  * * वह एहसान जो किसी सके साथ किया है *  * 2 * वह बुराई जो किसी ने आपसे की हो *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  *  बर्ग ज़िन्दगी, हमिद अल्लामा, पृष्ठ 90 * share please contect us +989056936120 join link https://chat.whatsapp.com/FIWUARZSWJ3CRi91NbEeZr  **✨✨✨✨✨ ﷽✨✨✨✨* *•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈•• *📖✨نصیحت جناب لقمان(؏)* *•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈••*  *✍🏻✨حضرت لقمان (؏) نے اپنے بیٹے سے کہا*    *🔷🔸👈🏻اے میرے بیٹے دو چیز کو ہمیشہ یاد رکھنا اور دو چیز کو ضرور بھول جانا* *🔶🔹👈🏻دو چیزیں جنہیں ہمیشہ یاد رکھنا ہے*  *1⃣🔹👈 خدا* *2⃣🔸👈 موت* *⛔ دو چیزیں جنہیں بھول جانا ہے:* *1⃣🔸👈 وہ احسان جو کسی کے ساتھ کیا ہے* *2⃣🔹👈 وہ بدی جو کسی نے تمہارے ساتھ کی ہے*

"अल्लाह की रहेमत पहले है और हिदायत बाद में " dastan no 43

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  _ * कहानी नंबर _43 *  "अल्लाह की रहेमत पहले है और हिदायत बाद में " *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  "इमाम सादिक (अ.स.) की खि़दमत में कुछ लोग मौजूद थे, जिनमें एक ईसाई भी शामिल था। बातचीत और सवाल-जवाब के दौरान, ईसाई ने छींक दी और हाज़रीन ने कहा," हदाक अल्लाह, "यानी अल्लाह तुम्हें हिदायत दे। "इमाम सादिक़ (अ.स.) ने कहा:" कहो, " यरहमोक अल्लाह" यानी अल्लाह आप पर रहम करे।  लोगों ने कहा मौला वो तो काफिर है ,इमाम (अस,) ने जवाब दिया: अगर अल्लाह तआला उस पर रहेमत नाजिल  नहीं करेगा तो वह हिदायत भी हासिल नहीं कर सकता है। क्योंकि बिना खोदा की रहेमत के कुछ भी हासिल नहीं हो सकता है इस लिए हमें चाहिए कि उसकी रहेमत को हासिल करने की कोशिश करें और उसकी रहमते खास उसी केलिए है जो गरीबों की मदद करे आज ईद का दिन है कोशिश करें कोई भी गरीब मायूस ना हो ।(इलाही अमीन)  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * संदर्भ: "दस्तानाई उसूल काफ़ी, मोहम्मद मोहम्मदी इश्तारदी, पृष्ठ 437।"  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• * share please contect us +989056936120 join link https://chat.whatsapp.c

बकरा ईद की नमाज़ का तरीक़ा।

 बकरा ईद की नमाज़* १. बकरा ईद की नमाज़ को जमाअत  के अलावा फुरादा नमाज़ करके भी अदा किया जा  सकता है । २.बकरा ईद की नमाज़ ज़ोहर से पहले कभी भी पढ़ी जा सकती है । ३. ये दो रकात की नमाज़ होगी  बस नियत करें की *नमाज़ ए बकरा ईद  पढ़ता हूं सुन्नत कुरबतन इल्लल्लाह* । पहली रकात में सुर ए अलहमद के बाद  सुरा ए अल-आला पढ़ें  *बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निररहिम* *सब्बे हिसमा रब्बिकल आ’ला अल्लज़ी ख़लक़ा फ़सव्वा वल्लज़ी क़द दरा फ़हादा वल्लज़ी अख़रजल मर’आ फजा'अलहु ग़ोसाअन अहवा सनुक़रेओका फला तनसा, इल्ला माँशा'अल्लाहो इन्ना हु यालामुल जहरा वमा यखफ़ा वनोयस्सीरुका लिल्युसरा फज़क्किर इन नफ़ा'अतिज़्ज़िकरा सयज़्ज़क्करो मयीं यख़शा व यतजन्नबोहल अशक़ा अल्लज़ी यस्लन नारल कुबरा सुम्मा ला यमूतो फीहा वला यहया क़द अफ़लहा मन तज़क्का वज़ाकरस मा रब्बेही फसल्ला बल तुअसेरूनल हयातद दुनिया वल आखीरतु खैरुन व अबक़ा इन्ना हाज़ा लफीस्सुहुफिल ऊला सुहुफ़े इब्राहीमा वा मूसा* । इसके बाद 5 बार तकबीर ‌*अल्लाह हो अकबर * कहे और हर तकबीर के बाद हाथ उठाकर नीचे दी हुई दूआ पढे़ याद रहे 5 बार पढ़नी है ये दुआ  *अल्ला हुम्मा अहलल किब

* "दूसरों के गुनाहों पर परदा पोशी करना। " dastan no 42

 ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * कहानी नंबर _42 "*  * "दूसरों के गुनाहों पर परदा पोशी करना। " *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * * एक दिन हज़रत मुहम्मद (SAW) ने हज़रत इमाम अली (अ.स.) से पूछा !!  अगर आप किसी आदमी को गुनाह करते हुए देखेंगे तो क्या करेंगे !! हज़रत मौला अमीर अल-मुमीन (अस,) ने जवाब दिया !!  मैं इसे छुपाऊंगा !!  नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फिर से पूछा !!  अगर आप उसे फिर से गुनाह करते हुए देखेंगे तो आप क्या करेंगे? !!  मौला (अस,) ने पिछला जवाब दोहराया !!  मैं इसे छुपाऊंगा !!  पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने तीसरी बार कहा !!  मौला अमीर अल-मुमीनिन ने तीसरी बार एक ही जवाब दिया, मैं इसे छिपाऊंगा !!  हज़रत मुहम्मद (SAW) ने कहा !!  अली (अस) के अलावा कोई जवान मर्द नहीं है !!  फिर हज़रत मुहम्मद (सल्ल।) ने अपने साथियों से मुखातिब होकर फरमाया  !!  अपने भाइयों के लिए परदा पोशि किया करो"*(लेकिन आज दुनिया में हम देखते हैं कि गुनाहों को छुपाना दूर की बात है अगर हमें कोई चीज मालूम हो जाती है किसी के बारे में तो जब तक उसको सबको बता नहीं देते हमें सुकून ही नहीं मिलता अगर हम भी इ

तवाजो़ह की क़ीमत खोदा के नज़दीक"dastan no 41

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  कहानी संख्या ,41*  * तवाजोह की क़ीमत खोदा के नज़दीक" *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * * * एक दिन अल्लाह ने मूसा (अ,) पर वही नाजिल की और पूछा: हे मूसा (अस), क्या आप जानते हैं कि मैंने आपको सब बन्दों के दरमियान तुमको कलीम यानी अपना हम कलाम क्यों बनाया है ?   उन्होंने कहा, "मुझे इसका रहस्य नहीं पता है।" तो अल्लाह ने उसे बताया और कहा, "मैंने तुम्हें अपने बन्दों में सबसे ज़्यादा  मोतावाज़ह पाया, इसलिए मैंने तुम्हें अपना हम कलाम बना लिया।"  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ *  संदर्भ , दास्तान हाय उसूल काफी मोहम्मद मोहम्मदी इश्तेहरदी पी। 451 *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• share please contect us +989056936120 join link https://chat.whatsapp.com/FIWUARZSWJ3CRi91NbEeZr *✨✨✨✨✨ ﷽✨✨✨✨* *•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈•• *📖"تواضع كى قيمت خدا كے نزديک"* *•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈••* *✍🏻"خداوند نے ايک دن حضرت موسى عليہ السلام پر وحى نازل كى اور پوچھا كہ اے موسى(؏) كيا توجانتا ہے كہ سب بندوں ميں سے ميں نے تم كو كليم يعنى اپنا ہمكلام كيوں بنايا ہے؟ حضرت موسى(؏) نے فرما

फिरौन का मसखरा बाज़,dastan

फिरौन का मसखरा बाज़,  फिरौन के दरबार में एक मसख़रा बाज़ था जिसका काम दूसरों का मज़ाक उड़ाना था, ख़ासकर मूसा और उनके आसपास के लोगों का।  एक दिन, मूसा (pbuh) और उनका भाई हारून फिरौन की हेदायत करने के लिए उसके महल में आए।  मसख़रा बाज़ महल के दरवाजे पर आया और उनसे पूछा कि वे कौन हैं, और क्या चाहते हैं।  उन्होंने कहा कि अल्लाह के भेजे , मूसा और हारून हैं, और उनके हाथों में एक  असा और उनके सर पर टोपी है।  फौरन मसख़रा बाज़ महल में आया और उनने कपड़ों के समान कपड़े पहने और फिरौन के पास आया।  फिरौन ने हँसते हुए उससे पूछा, "यह तुमने क्या पहना है?"  उन्होंने कहा, "यह मूसा का पहनावा है जो अब आपके महल में आया है और पैगंबर और हादी होने का दावा करता है।"  फिरौन ने उन्हें प्रवेश करने का आदेश दिया।  उन्होंने फिरौन को अपना मोजिज़ा दिखाया और उसे अज़ाबे खुदा से डराया, लेकिन फिरौन ने उनकी नेदाय आसमानी को नहीं सुना और अज़ाबे  के लिए काम किया।  अज़ाब वह दिन था जब मूसा(अ) ने समुद्र को तोड़कर उसे पार किया था।  जब की फिरौन की सेना ने पानी में प्रवेश किया, तो अज़ाबे इलाही ने उन्हें डुबा दिया ,

समझदार जज" dastan no 40

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  _ * कहानी नंबर _40 *  * * "समझदार जज" *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * "तीन भाई अपने ऊंटों के तकसीम पर इख्तेलाफ कर रहे थे और जब वे एक समझौते पर नहीं पहुंच सके और उनका मामला विवाद तक पहुंच गया, तो तीनों भाइयों ने आखिरकार शियाओं के इमाम अली (अ.स.) के पास जाने का फैसला किया, और  इस मामले में उनसे मदद माँगें। तीनों भाई हज़रत के पास गए और कहा कि हम तीन भाई और सत्रह (17) ऊंट हैं जो हमें अपने पिता से विरासत में मिले हैं और यह तय है कि बड़ा भाई इन ऊंटों में से आधा हिस्से का मालिक है।  दूसरा भाई उनमें से एक-तिहाई का मालिक है और छोटा भाई उनमें से नौवें हिस्से का मालिक है, लेकिन चूंकि ऊंट के टुकड़े नहीं किए जा सकते हैं,  अली (अ.स.) ने कहा, "यदि आप मुझे इजाज़त देते हैं, तो मैं अपने ऊंटों में से एक को तुम्हारे ऊंट में मिला दूंगा और फिर इसे तकसीम करूंगा।"  फिर वो अफ़राद 18 ऊंटों के मालिक हो गए ,आप ने कहा: बड़े भाई के  आधे ऊंट यानी 9 ऊंट उन्हीं के हैं। ऊंटों में से नौ ऊंट उनके हो गए। और दूसरे भाई का तिहाई हिस्सा यानी 6 ऊंट हुए, सबसे छोटे भाई के पास नौवां हि

यौमे कुद्स आखिर क्या है और माहे रमज़ान में क्यों मनाया जाता है❓

यौमे कुद्स आखिर क्या है और माहे रमज़ान में क्यों मनाया जाता है❓ कुद्स की तारीख़ समझने के लिए सबसे पहले हमें ये पता होना जरूरी है की सन् 1979 में ईरानी इंकलाब के रहबर इमाम खुमैनी साहब ने ये ऐलान किया था कि माहे रमज़ान के अलविदा जुमे को सारी दुनिया कुद्स दिवस की शक्ल में मनाए। दरअसल कुद्स का सीधा राबेता मुसलमानों के किब्ला ए अव्वल बैतूल मुकद्दस यानी मस्जिदे अक्सा जो की फिलिस्तीन में है, उसपर इजरायल ने आज से 72 साल पहले तकरीबन सन् 1948 में नाजायेज़ कब्ज़ा कर लिया था जो आज तक क़ायम है। इस्लामी तारीख़ के मुताबिक़ खनाए काबा से पहले मस्जिदे अक्सा ही मुसलमानों का किब्ला हुआ करती थी और सारी दुनिया के मुसलमान बैतूल मुकद्दस की तरफ रुख़ करके नमाज़ पढ़ते थे, उसके बाद ख़ुदा के हुक्म से क़िब्ला बैतूल मुकद्दस से बदल कर खानए काबा कर दिया गया था जो अभी भी मौजूदा क़िब्ला है। तारीख़ के मुताबिक़ मस्जिदे अक्सा सिर्फ पहला क़िब्ला ही नहीं बल्कि कुछ और वजह से भी मुसलमानों के लिए खास और अहम है। रसूले ख़ुदा(स) अपनी ज़िन्दगी में मस्जिदे अक्सा तशरीफ़ ले गए थे और वही से आप मेराज पर गए थे। इसी तरह हमारे इमाम जाफर सा

ऐसी रिवायत जो हमारी निजात केलिए काफी है।dastan no 39

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  _ * कहानी नंबर _39 *  * ऐसी रिवायत जो हमारी निजात के लिए काफी है?" *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * * "कुफ़ा के शियाओं में से एक ने इमाम सादिक (अ.स.) से  सलाह देने के लिए कहा, इमाम सादिक (अ.स.) ने कहा !!" मैं आप सबको तक़्वा इलाही और अल्लाह ताला की इताअत और गुनाहों से दूरी की वसीयत करता हूं , और ये भी वसीयत करता हूं कि हमारे लिए खामोश और सकित मोबॉलाई यानी तबलीग़ करने वाले बनो ,, "उन्होंने पूछा" "हम लोगों को खामोशी से कैसे आपकी तरफ दावत दे सकते हैं?" इमाम सादिक (अ.स.) ने कहा !!  दोस्ती, अदालत और विश्वास वाले लोगों के साथ किरदार पेश करें।  यदि लोग आपकी अच्छाई को नहीं समझते हैं, तो वे आपकी रफ्तार को देखेंगे और कहेंगे !!!  अल्लाह उनके आइम्मा (अ,)  पर रहेमट करें कि उन्होंने अपने असहाब की कितनी  अच्छी तरबियत की है !!अगर हम ने अपने किरदार को नेक कर लिया तो हमारे इमाम (अ,)और खोदा हम से राज़ी हो जाएगा।  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  संदर्भ "दाएम-उल-इस्लाम, खंड 1, पृष्ठ 55 *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• * share please contract us +989056936120 join link https://c

मुझे नहीं पता मुझे नहीं पता।dastan no38

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * कहानी नंबर 38*  * मुझे नहीं पता, मुझे नहीं पता !! !!  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * * मरहूम शेख अंसारी रिज़वान अल्लाह अलैह एक ऐसे बुजुर्ग थे जो इल्म और तकवा में एक बुज़ुर्ग हैसियत रखते थे !!  आज भी, ओलमा को उनके शब्दों की बारीकियों तक पहुंच होने पर गर्व करते है !!  जब आप तशरीफ लाते थे, तो लोग आपसे कुछ बातों के बारे में पूछते थे !!  यदि आप किसी प्रश्न का उत्तर नहीं जानते थे, तो आप जानबूझकर इसे जोर से बोलते थे !!  "मुझे नहीं पता," "मुझे नहीं पता।" आपने ऐसा इसलिए किया ताकि छात्र समझ सकें कि अगर उन्हें कुछ पता नहीं है, तो उन्हें शर्मिंदा नहीं होना चाहिए कि मुझे नहीं पता है। "*बल्कि उन्हें अपनी ला इल्मी का इकरार करना चाहिए।  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  *  संदर्भ "इस्लामिक कहानियां, शहीद मुर्तजा मोताहारी", पी।200  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈  share please contract us +989056936120 join link https://chat.whatsapp.com/FIWUARZSWJ3CRi91NbEeZr *✨✨✨✨✨ ﷽✨✨✨✨*  *•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈••*  *📖✨ميں نہيں جانتا، ميں نہيں جانتا!!*  *•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•

बीमार मोमिन पर अल्लाह की इनायत।dastan no 37

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  _ * कहानी नंबर _37 *  * * "बीमार मोमिन पर अल्लाह की इनायत" *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * * "हज़रत सादिक़ आल -मुहम्मद (अ,) ने हेकायत बयान फरमाए हैं कि!!  एक रोज़ हजरत रसूल अकरम(s,a)अपने साथियों के हमराह तशरीफ रखते थे, की हुज़ूर ने अपने सर को आसमान की जानिब बुलंद किया और वह मुस्कुराया !! एक साथी ने पवित्र पैगंबर (SAW) से पूछा: !! हे अल्लाह के नबी (SAW) !! आज मैंने देखा कि आपने अपना सिर आसमान की तरफ उठाया और मुस्कुराया? !! पवित्र पैगंबर (SAW)  नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा: हां, यह सच है क्योंकि मैं हैरान था कि अल्लाह तआला के दो फरिश्ते अपने एक गुलाम के काम को रिकॉर्ड करने के लिए जन्नत से ज़मीन पर उतर आए,  जो रोज अपनी नमाज को वक़्त पर अदा करता था उसके अमाल नामे में लिखें। !! लेकिन उस आदमी को अपनी इबादत के स्थान पर नहीं पाकर दोनों  फ़रिश्ते आसमान पर वापस चले गए और खोदा के बारगाह में अर्ज़ की .. परवरदिगार !! आपका मोमिन बंदा अपनी इबादत के स्थान पर हमें नहीं मिला लेकिन वह बिस्तर बीमारी पर पड़ा हुआ था।उस वक़्त अल्लाह ने इरशाद फरमाया,!! मेरे बंदे के

nejasata

[5/11, 2:31 AM] Mohd Qamar Rizvi: पैसे देकर बाप की क़जा़ नमाज़ पढ़वाना। बाप की कज़ा नमाज़ या रोज़ा बड़े बेटे पर वाजिब है जिसे अगर बड़ा बेटा चाहे तो किसी को पैसे देकर पढ़वा सकता है लेकिन जिसे भी पैसे दे जब तक वो पढ़ ना दे सही तरीके से उस पर से वाजिब ख़तम नहीं होता इसी लिए ज़रूरी है किसी ऐसे को पैसा दे जिस पर याकीन हो कि ये पूरा कर देगा। (1512)इंसान के मरने के बाद उन नमाज़ों और दूसरी इबादतों के लिए जो वो ज़िन्दगी में ना बजा लाया हो किसी दूसरे शख्स को अजिर बनाया जा सकता है।यानी उन नमाजों को पैसे देकर पढ़वा सकते हैं। (1513)इंसान बाज मुस्तहेब कामों में मसलन हज या उमराह और रसूल व इमामों की क़ब्रों की जियारत के लिए ज़िंदा लोग भी पैसा देकर करा सकते है और ये भी कर सकते हैं कि मुस्तहें काम करें और उसका सवाब मुर्दे को हदिया कर दें। (1517)अजीर ऐसे शख्स को करे कि जिसके बारे में इतमीनान हो कि वो अमल को बजा लाएगा।और ये भी एहतिमाल हो कि सही तरीके से बजा लाएगा। (1518)जिस शख्स को मैय्यत की नमाज के लिए अजीर बनाया जाए अगर उसके बारे में पता चले की वो अमल को बजा नहीं लाया या बातिल तौर पर बजा लाया है,तो दोबा

ahekame roza

[4/25, 10:32 PM] Mohd Qamar Rizvi: रोज़ा के नियम  उपवास उस व्यक्ति के लिए है जो बाद में कही जाने वाली आठ चीजों से परहेज करेगा, सुबह की अज़ान से लेकर शाम तक की प्रार्थना, यानि इबादत को रोज़ा कहते हैं!   नियत  अंक सं। 1529- किसी व्यक्ति के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह अपने जडबान से उपवास के इरादे को अनजाम दे,  उदाहरण के लिए, कि वह ज़बान से कहे कल उपवास करेगा, लेकिन उसके लिए ऐसा कुछ ज़बान से कहना ज़रूरी नहीं , जो उपवास को अमान्य करता है सिफॆ उससे परहेज़ करे काफी है।  और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह इस समय उपवास कर रहा है, उसे सुबह की नमाज़ से पहले कुछ खाने पीने से बचना चाहिए, और मग़रिब के कुछ समय बाद, तक ऐसा करने से जो उपवास को अमान्य करता है।परहेज़ करना चाहिए। [4/26, 5:15 AM] Mohd Qamar Rizvi: अंक 1530: एक व्यक्ति रमजान के प्रत्येक दिन रात को उपवास करने का इरादा कर सकता है।  अंक 1531: रमजान के महीने के दौरान उपवास करने के लिए अंतिम समय सुबह की अज़ान के दौरान होता है।  अंक 1532: जिस व्यक्ति ने रोज़ा को अमान्य करने वाले कर्मों को नहीं किया है, जब भी वह दिन में  व्रत करने का इरादा रखता है,

शैतान पानी में।dastan no 36

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * कहानी नं। 36*  *शैतान पानी में।*  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * एक दिन एक बद अखलाक  आदमी ने बहलोल से कहा कि मैं शैतान को देखना चाहता हूँ !!  बहलोल ने बहुत गंभीरता से जवाब दिया !!  कभी साफ पानी में देखिए, शैतान दिखाई देगा "!!"     * "सबक और मोकामे ईब्रत" *  ”“ यह घटना हमें सिखाती है कि हमें यह जानना चाहिए कि जो कुछ भी हम गलत करते हैं, उसके पीछे शैतान का ही हाथ नहीं होता है।अक्सर औकात हमारा नफ़्स ही हमसे गलत काम करवाता है,  शैतान तो उस बंदे पर मेहनत करता है जो अपने  नफ़्स को शिकस्त दे चुका हो। उन लोगों पर अपना वक़्त खर्च नहीं करता है जो पहले से ही अपने नफ़्स को ख्वाहिशात का शिकार बना चुके हैं।  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * 📚 संदर्भ "बहलोल अकिल, पी।" *88 share please contect us +989056936120 join link https://chat.whatsapp.com/FIWUARZSWJ3CRi91NbEeZr *✨✨✨✨✨ ﷽✨✨✨✨* *•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈•• *📖✨شيطان پانى ميں* *•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈••* *✍🏻✨ايک دن كسى بد اخلاق آدمى نے بہلول  سے كہا كہ ميرى خواہش ہے كہ ميں شيطان كو ديكھوں!! بہ

बादशाहों की कुदरत व ताक़त dastan no35

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * *दस्तान नंबर _35 "*  * "" * बादशाहों की कुदरत व ताकत,  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• * एक गुलाम बादशाह के साथ बैठा हुआ था और ये देख रहा था कि बादशाह को नींद आ रही है और वो बार बार औंगह रहा है अपनी आंखें बंद करता ही है कि रक मक्खी उसके नाक पर आ कर उसको नींद से जगा देती है जिस से बादशाह सख्त परेशान हो रहा है, वह उसे बार-बार खुद से दूर करता है, लेकिन वह हर बार घूम फिर कर उसके नाक पर बैठ जाती है !!  थोड़ी देर बाद, राजा ने गुलाम से पूछा, "क्या तुम मुझे बता सकते हो  कि अल्लाह ने इस मधुमक्खी को क्यों बनाया?" इसके खलक़ करने का क्या फ़ायदा हो सकता है ? गुलाम ने कहा- !!  अल्लाह ने मधुमक्खी को इसलिए पैदा किया ताकि शक्तिशाली लोग यह ध्यान रखें कि जिस शक्ति और ताक़त पर उन्हें गर्व है, वह कभी-कभी एक मधुमक्खी तक नहीं रोक सकते  है ...! " share please contect us +989056936120 join link https://chat.whatsapp.com/FIWUARZSWJ3CRi91NbEeZr *✨✨✨✨✨ ﷽✨✨✨✨* *•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈••* *📖✨بادشاہوں کی قدرت و طاقت"* *•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈••* *

फजी़लत शबे क़द्र,dastan no 34

* ﷽   * कहानी संख्या   34  * फजी़लत शबे क़द्र   * हजरते मूसा (अ,)ने अपनी मुनाजात में खोदावंदे आलम से अर्ज़ किया, : हे अल्लाह !  मैं आपकी कुरबत का मुश्ताक हूं। "  * अल्लाह  ने कहा: मेरी कुर्बत उस शख्स के लिए है जो शबे कद्र में बेदार रहे ।"  * मूसा(अ,):अल्लाह मैं तेरी रहेमत का तलबगार हूं। अल्लाह रहीम,मेरी रहेमत उस शख्स के शामिल हाल है जो शबे कद्र में फकी़र व मिस्कीन पर रहेम करे। हज़रत मूसा (अ,) खोदाया में पुले सेरात से गुज़रने की तमन्ना रखता हूं। परवरदिगार आलम,ये इजाज़त उस बंदे के लिए है जो शबे कद्र में सदक़ा देता है।  * हज़रत मूसा (अ,) खोदाया में जन्नत के दरखतों और उसके फलों का आर्जू करता हूं।  * * अल्लाह : यह अनुमति उस बंदे के लिए है जो शबे कद्र को तस्बीह खोदा में पूरी करता  है। हज़रत मूसा (अ,)खोदाया मैं आतश जहन्नम से निजात का तालिब हूं। खोदाए मोताल,मेरी नेजात उस शख्स के लिए है जो शबे कद्र इस्तेगफार में गुजा़रे। हज़रत मूसा(अ,)खोदाया मैं तेरी रज़ा और खुशनुदी का तालिब हूं। खोदावंदे मोताल,मेरी रेजा़ और खुशनुदी उस शख्स के लिए है जो शबे कद्र में दो रकात नमाज़ अदा करे।  * 📚1।  साक

जब इमामे ज़माना (अ,)तशरीफ लायेंगे तो उनकी रवीश क्या होगी।

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  _ * कहानी नंबर _33 *  * "जब इमाम ज़माना (अ,) तशरीफ लाएंगे तो उनकी रवीश  क्या होगी?" *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * ✍🏻 " ज़माने गैबते इमाम(अ,) में इराक में एक व्यक्ति ने ख़ुम्स निकाला और सहम इमाम (؏) का हिस्सा इमाम (अ,)की खिदमत में भेजा और उसका सहम इमाम (؏) स्वीकार नहीं किया गया और मना कर दिया गया और उसे जवाब में कहा कि तुम ने जो माल भेजा है  उसमें 400 दिरहम गसबी माल है ,  और आपकी संपत्ति तब तक स्वीकार नहीं की जाएगी जब तक कि वह संपत्ति के मालिक तक नहीं पहुंच जाती।जब उस शख्स की तहकीक की गई तो पता चला कि वो एक ज़मीन में अपने चचेरे भाई के साथ भागीदार था और उसने अपना बकाया अदा नहीं किया था। उस शख्स से 400 दिरहम निकलवा कर उसके चाचा के बेटों तक पाहोंचाए गए।और फिर उनके माल को इमाम (अ.स.) की खिदमत में पेश की गई।  इस बार उनके माल को क़ुबूल कर   लिया गया। "*(इसका मतलब ये है कि खोदा या इमाम को गासबीन का माल क़ुबूल नहीं चाहे वो दिन के कामों(मजलिस,इफ्तार,) ही कियूं ना हों।)  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * संदर्भ: "दस्तानाई उसूल काफ़ी, मोहम्मद मोहम्मदी इश्तारदी, पी

सुबह की नमाज़ की अहमियत dastan no 32

* ﷽✨✨✨✨ *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  _ * कहानी नंबर _32 *  * * "सुबह की नमाज़ की अहमियत" *  * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *  * * "इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) से पूछा गया  कि आख़िरी दिनों के लोगों का रिज्क व रोज़ी सीमित क्यों होगी। उन्होंने कहा !! क्योंकि उनकी नमजें कजा होंगी !!!  हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) की खिदमत में आकर कहा कि मैंने एक गुनाह किया है। हज़रत (अ.स.) ने फ़रमाया: अल्लाह माफ़ करेगा !!!! उस व्यक्ति ने कहा !!  उसने जो पाप किया है, वह बहुत बड़ा है !! इमाम (अ,) ने कहा: भले ही वह पहाड़ के बराबर हो, अल्लाह उसे माफ कर देगा !! इस व्यक्ति ने कहा कि मेरा पाप बहुत बड़ा है !!  उसने पूछा: लेकिन आपने क्या पाप किया है? और फिर इस ने इमाम (अ,) के पास अपना पाप बयान किया  जब इस व्यक्ति की बात पूरी हुई, तो इमाम आली मक़ाम (अ,) ने इस व्यक्ति को मोखातब किया और कहा: !!  अल्लाह इसे माफ़ कर देगा, मुझे डर था कि आप सुबह की नमाज़ नहीं पढ़े।  हैं*  * * "इसी तरह, अयातुल्लाह हज शेख हसन अली इस्फ़हानी अपने बेटे के लिए वसीयत में कहते हैं !! अगर इंसान चालीस रोज़ इबादत करे लेकिन रक बार उसकी नमाज़ ए सुबह छुट जा

अमाले शबे कद्र हिंदी,amaal e shab e qadr in hindi,

Amaal-e-Shab-e-Qadr in Hindi* उन्नीसवी रात यह शबे क़द्र की पहली रात है और शबे क़द्र के बारे में कहा गया है कि यह वह रात है जो पूरे साल की रातों से अधिक महत्व और फ़ज़ीलत रखती है, और इसमें किया गया अमल हज़ार महीनों के अमल से बेहतर है शबे क़द्र में साल भर की क़िस्मत लिखी जाती है और इसी रात में फ़रिश्ते और मलाएका नाज़िल होते हैं और इमाम ज़माना (अ) की ख़िदमत में पहुंचते हैं और जिसकी क़िस्मत में जो कुछ लिखा गया होता है उसको इमाम ज़माना (अ) के सामने पेश करते हैं। इसलिए हर मुसलमान को चाहिए कि इस रात में पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करे और दुआएं पढ़ता रहे और अपने आने वाले साल को बेहतर बनाने के लिए अल्लाह से दुआ करे। शबे क़द्र के आमाल दो प्रकार के हैं: एक वह आमाल हैं जो हर रात में किये जाते हैं जिनको मुशतरक आमाल कहा जाता है और दूसरे वह आमाल हैं जो हर रात के विशेष आमाल है जिन्हें मख़सूस आमाल कहा जाता है। वह आमाल जो हर रात में किये जाते हैं 1⃣ *ग़ुस्ल* (सूरज के डूबते समय किया जाए और बेहतर है कि मग़रिब व इशा की नमाज़ को इसी ग़ुस्ल के साथ पढ़ा जाय) 2⃣ दो रकअत नमाज़, जिसकी हर रकअत में एक बार सूरह *