बकरा ईद की नमाज़*
१. बकरा ईद की नमाज़ को जमाअत के अलावा फुरादा नमाज़ करके भी अदा किया जा सकता है ।
२.बकरा ईद की नमाज़ ज़ोहर से पहले कभी भी पढ़ी जा सकती है ।
३. ये दो रकात की नमाज़ होगी
बस नियत करें की *नमाज़ ए बकरा ईद पढ़ता हूं सुन्नत कुरबतन इल्लल्लाह* ।
पहली रकात में सुर ए अलहमद के बाद सुरा ए अल-आला पढ़ें
*बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निररहिम*
*सब्बे हिसमा रब्बिकल आ’ला अल्लज़ी ख़लक़ा फ़सव्वा वल्लज़ी क़द दरा फ़हादा वल्लज़ी अख़रजल मर’आ फजा'अलहु ग़ोसाअन अहवा सनुक़रेओका फला तनसा, इल्ला माँशा'अल्लाहो इन्ना हु यालामुल जहरा वमा यखफ़ा वनोयस्सीरुका लिल्युसरा फज़क्किर इन नफ़ा'अतिज़्ज़िकरा सयज़्ज़क्करो मयीं यख़शा व यतजन्नबोहल अशक़ा अल्लज़ी यस्लन नारल कुबरा सुम्मा ला यमूतो फीहा वला यहया क़द अफ़लहा मन तज़क्का वज़ाकरस मा रब्बेही फसल्ला बल तुअसेरूनल हयातद दुनिया वल आखीरतु खैरुन व अबक़ा इन्ना हाज़ा लफीस्सुहुफिल ऊला सुहुफ़े इब्राहीमा वा मूसा* ।
इसके बाद 5 बार तकबीर *अल्लाह हो अकबर * कहे और हर तकबीर के बाद हाथ उठाकर नीचे दी हुई दूआ पढे़ याद रहे 5 बार पढ़नी है ये दुआ
*अल्ला हुम्मा अहलल किबरियाए वल अज़मते व अहलल जुदे वल जबरूत व अहलल अफवे वर रहमा वा अहलल तक़वा वल मग़फिरा अस अलोका बे हक्के़ हाज़ल यौमील लज़ी जअलतहु लिल मुस्लेमीना ईदा वले मौहम्मदी न सल्लल लाहो अलैहे वा आले ही ज़ुख़रौं व करामतौं व शराफौं व मज़ीदा अन तोसल्ले अला मौहम्मदीन वा आले मौहम्मद वा अन तुद खीलनी फी कुल्ले खैर, अदखलता फीहे मौहम्मदौं व आले मौहम्मद व अन तुखरेजनी मिन कुल्ले सुइन अखरजता फीहे मौहम्मदौं व आले मौहम्मद सलावातोका अलैहे व अलैहिम अजमइन अल्ला हुम्मा इन्नी अस अलोका खैरा मा सअलका बेही इबादोकस सालेहुन व अऊज़ो बेका मिम मसताआज़ा मिनहो इबादोकल मुखलेसुन* ।
फिर छटी बार तकबीर कहके रूकू और सजदा करें और फिर दुसरी रकात में सुर ए अलहमद के बाद ये दुआ सुरा ए अश्शमस पढ़ें
*वश्शमसे वज़ ज़ुहाहा वल क़मरे एज़ा तलाहा वन्नहारे एज़ा जल्लाहा वल्लैले एज़ा यग़शाहा वस्समाए वमा बनाहा वल अरज़े वमा तहाहा वा नफसिंव वमा सव्वाहा फअलहमहा फुजुरहा व तक़वाहा क़द अफलहा मन ज़क्काहा व क़द खा़बा मन दस्साहा कज़्ज़बत समुदो बे तग़वाहा इ ज़िम बाआसा अशक़ाहा फक़ाला लहुम रसुलुल्लाहे नाक़तल्लाहे व सुक़याहा फाकज़्ज़बुहो फआक़रूहा फदमदमा अलैहिम रब्बो हुम बेज़मबेहिम फसव्वाहा वला युखा़फो उक़बाहा*
इसके बाद 4 बार तकबीर *अल्लाह हो अकबर * कहे और हर तकबीर के बाद हाथ उठाकर वही क़ुनुत या दूआ पढे़ जो पहली रकात में पढा़ था । और 5वी तकबीर के बाद रुकु व सजदा करके नमाज़ को मुकम्मल करें ।
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