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समझदार जज" dastan no 40

* ﷽✨✨✨✨ *
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 _ * कहानी नंबर _40 *
 * * "समझदार जज" *
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 * "तीन भाई अपने ऊंटों के तकसीम पर इख्तेलाफ कर रहे थे और जब वे एक समझौते पर नहीं पहुंच सके और उनका मामला विवाद तक पहुंच गया, तो तीनों भाइयों ने आखिरकार शियाओं के इमाम अली (अ.स.) के पास जाने का फैसला किया, और  इस मामले में उनसे मदद माँगें। तीनों भाई हज़रत के पास गए और कहा कि हम तीन भाई और सत्रह (17) ऊंट हैं जो हमें अपने पिता से विरासत में मिले हैं और यह तय है कि बड़ा भाई इन ऊंटों में से आधा हिस्से का मालिक है।  दूसरा भाई उनमें से एक-तिहाई का मालिक है और छोटा भाई उनमें से नौवें हिस्से का मालिक है, लेकिन चूंकि ऊंट के टुकड़े नहीं किए जा सकते हैं,  अली (अ.स.) ने कहा, "यदि आप मुझे इजाज़त देते हैं, तो मैं अपने ऊंटों में से एक को तुम्हारे ऊंट में मिला दूंगा और फिर इसे तकसीम करूंगा।"  फिर वो अफ़राद 18 ऊंटों के मालिक हो गए ,आप ने कहा: बड़े भाई के  आधे ऊंट यानी 9 ऊंट उन्हीं के हैं। ऊंटों में से नौ ऊंट उनके हो गए। और दूसरे भाई का तिहाई हिस्सा यानी 6 ऊंट हुए, सबसे छोटे भाई के पास नौवां हिस्सा है। अठारह ऊंटों में से, नौवें भाग में दो ऊंट होते हैं, इसलिए छोटा भाई दो ऊंट और बड़ा भाई नौ ऊंट लेता है।  बड़े भाई से छोटे वाले के पास छह ऊँट हैं, छोटे भाई के पास दो ऊँट हैं और सबको मिला कर हुए   सत्रह ऊँट । अब आप लोग मेरे ऊँट को मेरे पास लौटा सकते हैं।और इस तरह बिना किसी झगड़े के आपका मिरास तकसीम हो गया,और इस तरह के फैसले इस से पहले कभी ना हुए थे।
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 * * "अदाबी अज़ क़ुरआन सफा, 284" *
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*📖"عقلمند قاضی"*
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*✍🏻"تین بھائیوں نے اپنے اونٹوں کے تقسیم کرنے پر اختلاف کیا اور جب توافق نہ کر پا سکے اور ان کا معاملہ جھگڑے تک پہنچ گیا آخر میں ان تینوں بھائیوں نے ارادہ کیا کہ شیعوں کے امام امیرالمؤمنین حضرت علی علیہ السلام پاس چلیں اور ان سے اس مسئلہ میں مدد طلب کریں تینوں بھائی حضرت کے پاس  گئے اور عرض کی کہ ہم تین بھائی ہیں اور سترہ(17) اونٹ ہمیں اپنے باپ سے میراث سے ملے ہیں اور قرار اس بات پر ہے کہ بڑا بھائی ان اونٹوں کے نصف اور دوسرا بھائی ان کے ایک تہائی اور چھوٹا بھائی ان کے نویں حصّہ کا مالک ہو، لیکن چونکہ اونٹوں کو ٹکڑے ٹکڑے نہیں کر سکتے اسی کی تقسیم میں ہم لوگ عاجز اور پریشان ہیں حضرت علی علیہ السلام نے فرمایا کہ اگر تم لوگ اجازت دو تو میں اپنا ایک اونٹ تم لوگوں کے اونٹ میں اضافہ کروں اور پھر تقسیم کروں جب حضرت نے سترہ 17 اونٹوں میں ایک اونٹ زیادہ کیا تو وہ بھائی لوگ اٹھارہ اونٹوں کے مالک ہوگئے پھر اس وقت حضرت نے فرمایا کہ بڑا بھائی کہ نصف اونٹ اسکے ہیں اونٹوں میں سے نو 9 اونٹ اسکے ہو گئے دوسرا بھائی کہ جس کا ایک تہائی سہم ہے اٹھارہ کا ایک تہائی چھ ہوگا تو اس بنا پر چھ اونٹ دوسرے کا ہے اور جو سب سے چھوٹا بھائی ہے نواں حصہ رکھتا ہے اٹھارہ اونٹوں میں نویں حصّہ کے دو اونٹ ہوگئے تو اس بنا پر چھوٹا بھائی دو اونٹ لے نو اونٹ بڑے بھائی کے چھ اونٹ دوسرے بھائی کے اور دو اونٹ سب سے چھوٹے بھائی کے سب سترہ اونٹ ہوتے ہیں اب تم لوگ میرا اونٹ مجھے واپس کر سکتے ہو"*
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*📚"حوالہ آدابی از قرآن،284"*
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*📿امام_زمانہ (عج) کے ظھور  میں  تعجیل  کے لئے صلوات___ألـلَّـھُــــــمَــ ؏َـجــــــــــِّـلْ لِوَلــــــیِـڪْ ألــــــــــْـفـــــَـرَج!📿*
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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🎍💐🌹आमाले शब-ए-बारात  🌹💐🎍 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पन्द्रहवीं शब के आमाल की फजीलत बहुत है इस शब गुस्ल करे और इस शब की बरकतों में एक यह भी है कि इस रात इमाम मोहम्मद मेंहदी अलैहिस्सलाम की विलादत हुई है  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 💐इस रात में कुछ नमाजे और कुछ दुआए है जो हम को अदा करनी चाहिए 🌹🌹जैसे🌹🌹⤵️ 💐इन को अदा करने के दो तरीके हैं ⤵️ 💐पहला तरीका है के दो दो कर के दस रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर-ए-फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद दस बार सूर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े  💐दूसरा तरीका है के दो दो कर के चार रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर ए फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद सौ बार सुर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े                  💐इस नमाज़ की नीयत इस तरह करे ⤵️ 💐दो रकात नमाज पढता / पढ़ती हूँ ( निमे शाबान कुर - बतन इलल्लाह ) 💐और इस तरह इस नमाज़ को अदा करे फिर तस्बी-ए-फातिमा पढ़े 🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 💐अब इस के बाद में कुछ तस्बी है जो हम को अदा करनी है ⤵️ 💐(1)💐  सुब्हानाल्लाह 💐(2) 💐अल्हम्दो लिल्लाह  💐(3) 💐अल्लाहो अकबर 💐(4) 💐ला इलाहा इल्लल्लाह 💐इमाम मुहम्मद बाक़