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बीमार मोमिन पर अल्लाह की इनायत।dastan no 37

* ﷽✨✨✨✨ *
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 _ * कहानी नंबर _37 *
 * * "बीमार मोमिन पर अल्लाह की इनायत" *
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 * * "हज़रत सादिक़ आल -मुहम्मद (अ,) ने हेकायत बयान फरमाए हैं कि!!  एक रोज़ हजरत रसूल अकरम(s,a)अपने साथियों के हमराह तशरीफ रखते थे, की हुज़ूर ने अपने सर को आसमान की जानिब बुलंद किया और वह मुस्कुराया !! एक साथी ने पवित्र पैगंबर (SAW) से पूछा: !! हे अल्लाह के नबी (SAW) !! आज मैंने देखा कि आपने अपना सिर आसमान की तरफ उठाया और मुस्कुराया? !! पवित्र पैगंबर (SAW)  नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा: हां, यह सच है क्योंकि मैं हैरान था कि अल्लाह तआला के दो फरिश्ते अपने एक गुलाम के काम को रिकॉर्ड करने के लिए जन्नत से ज़मीन पर उतर आए,  जो रोज अपनी नमाज को वक़्त पर अदा करता था उसके अमाल नामे में लिखें। !! लेकिन उस आदमी को अपनी इबादत के स्थान पर नहीं पाकर दोनों  फ़रिश्ते आसमान पर वापस चले गए और खोदा के बारगाह में अर्ज़ की .. परवरदिगार !! आपका मोमिन बंदा अपनी इबादत के स्थान पर हमें नहीं मिला लेकिन वह बिस्तर बीमारी पर पड़ा हुआ था।उस वक़्त अल्लाह ने इरशाद फरमाया,!! मेरे बंदे के कर्मों और नेकियों को उसी तरह लिखो जैसे वह स्वास्थ्य और सलामती की वक़्त में मेरी इबादत करता था और आप तब उसके कर्मों और गुणों को लिखते थे।क्योंकि वह अब मेरी इबादत और अन्य कर्मों  के करने से बीमार और कमजोर है !!  फिर अंत में कहा !!  बेशक, मुझे अपने बंदे  को उसी तरह से सवाब और ईनाम देना  होगा,जैसे मैं उसे बीमार होने से पहले इनाम देता था।ये मेरे रहीम व करीम होने की अलामात है।
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  * संदर्भ "बिहार अल-अनवर, खंड 22, पृष्ठ 83," *
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*📖"بیمار مومن پر الله کی عنایت"*
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*✍🏻"حضرت صادق آل محمّد علیہ السلام نے حکایت بیان فرمائی ہے کہ!! ایک روز حضرت رسول گرامی اسلام صلّی اللّه علیہ و آلہ وسلم اپنے اصحاب کے ہمراہ تشریف فرما تھےکہ حضور(ص) نے اپنے سر کو  آسمان کی جانب بلند کیا  اور تبسّم فرمایا!! ایک صحابی نے آنحضرت(ص) سے سوال کیا:!! یا رسول اللّه(ص)!! آج میں نے دیکھا کہ آپ نے سر آسمان کی طرف بلند کیا اور مسکرائے؟!! نبی کریم صلّی اللّه علیہ و آلہ وسلم نے فرمایا:! ہاں، یہ صحیح ہے چونکہ مجهے تعجّب ہوا کہ الله کے دو فرشتے آسمان سے زمین پر آئے تاکہ اس کے ایک بندے کے اعمال کہ جو روزانہ اپنی نماز کو وقت پر انجام دیتا تها اس کے اعمالنامے میں لکهیں!! لیکن اس شخص کو اس کی عبادت کی جگہ پر نہ پاکر دونوں فرشتے آسمان پر واپس چلے گئے اور بارگاہ رب العزت میں عرض کی!! پروردگار!! تیرا مؤمن بندہ اپنی عبادت کی جگہ پر ہمیں نہیں ملا بلکه وہ بستر بیماری پر پڑا ہوا تها!! اس وقت خداوند متعال نے ارشاد فرمایا!! تم اسی طرح میرے بندے کے اعمال و عبادات لکهو جس طرح صحت و سلامتی کی عالم میں وہ میری عبادت انجام دیتا تھا اور تم اس کے اعمال اور نیکیاں لکھا کرتے تهے جب تک کہ وہ عبادت اور دوسرے کاموں سے بیمار و ناتواں میری پناه میں ہے!! پھر آخر میں فرمایا!! یقینا مجھ پر لازم ہے کہ میں اپنے بندے کو بیماری کی حالت میں بھی اسی طرح اجرو ثواب عطا کروں کہ جس طرح اس کی صحت کے زمانے میں اجر و ثواب دیتا تها"*
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 *📚حوالہ"بحارالأنوار، ج/22، ص/83،"*
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*📿امام_زمانہ (عج) کے ظھور  میں  تعجیل  کے لئے صلوات___ألـلَّـھُــــــمَــ ؏َـجــــــــــِّـلْ لِوَلــــــیِـڪْ ألــــــــــْـفـــــَـرَج!📿*
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