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"अल्लाह की रहेमत पहले है और हिदायत बाद में " dastan no 43

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 _ * कहानी नंबर _43 *
 "अल्लाह की रहेमत पहले है और हिदायत बाद में " *
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 "इमाम सादिक (अ.स.) की खि़दमत में कुछ लोग मौजूद थे, जिनमें एक ईसाई भी शामिल था। बातचीत और सवाल-जवाब के दौरान, ईसाई ने छींक दी और हाज़रीन ने कहा," हदाक अल्लाह, "यानी अल्लाह तुम्हें हिदायत दे। "इमाम सादिक़ (अ.स.) ने कहा:" कहो, " यरहमोक अल्लाह" यानी अल्लाह आप पर रहम करे।  लोगों ने कहा मौला वो तो काफिर है ,इमाम (अस,) ने जवाब दिया: अगर अल्लाह तआला उस पर रहेमत नाजिल  नहीं करेगा तो वह हिदायत भी हासिल नहीं कर सकता है। क्योंकि बिना खोदा की रहेमत के कुछ भी हासिल नहीं हो सकता है इस लिए हमें चाहिए कि उसकी रहेमत को हासिल करने की कोशिश करें और उसकी रहमते खास उसी केलिए है जो गरीबों की मदद करे आज ईद का दिन है कोशिश करें कोई भी गरीब मायूस ना हो ।(इलाही अमीन)
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 * संदर्भ: "दस्तानाई उसूल काफ़ी, मोहम्मद मोहम्मदी इश्तारदी, पृष्ठ 437।"
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*📖"خدا كى رحمت پہلے ہے اور ہدايت بعد ميں"*
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*✍🏻"امام صادق عليہ السلام كى خدمت ميں كچھ افراد حاضر خدمت تھے جن ميں ايک نصرانى بھى موجود تھا۔!! گفتگو و سوال جواب كے دوران نصرانى نے چھينک مارى جس پر حاضرين نے كہا’’ ھداك اللّه ‘‘يعنى اللّه تمہيں ہدايت دے" امام صادق عليہ السلام نے فرمايا كہ تم كہو’’ يرحمك اللّه "يعنى اللّه تم پر رحمت نازل فرماۓ" حاضرين نے عرض كى ليكن وہ تو كافر ہے پھر اس پر رحمت الہٰى كيونكر نازل ہوگى!! امام عليہ السلام نے جواب ميں فرمايا اگر اللّه تعالیٰ  اس پر رحمت نازل نہ كرے تو ہدايت بھى نہيں كرے گا!!"*
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*📚حوالہ"داستانہاى اصول كافى،محمد محمدى اشتہاردى، ص، ۴۳۷"*
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*📿امام_زمانہ (عج) کے ظھور  میں  تعجیل  کے لئے صلوات___ألـلَّـھُــــــمَــ ؏َـجــــــــــِّـلْ لِوَلــــــیِـڪْ ألــــــــــْـفـــــَـرَج!📿*
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अमाले शबे कद्र हिंदी,amaal e shab e qadr in hindi,

Amaal-e-Shab-e-Qadr in Hindi* उन्नीसवी रात यह शबे क़द्र की पहली रात है और शबे क़द्र के बारे में कहा गया है कि यह वह रात है जो पूरे साल की रातों से अधिक महत्व और फ़ज़ीलत रखती है, और इसमें किया गया अमल हज़ार महीनों के अमल से बेहतर है शबे क़द्र में साल भर की क़िस्मत लिखी जाती है और इसी रात में फ़रिश्ते और मलाएका नाज़िल होते हैं और इमाम ज़माना (अ) की ख़िदमत में पहुंचते हैं और जिसकी क़िस्मत में जो कुछ लिखा गया होता है उसको इमाम ज़माना (अ) के सामने पेश करते हैं। इसलिए हर मुसलमान को चाहिए कि इस रात में पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करे और दुआएं पढ़ता रहे और अपने आने वाले साल को बेहतर बनाने के लिए अल्लाह से दुआ करे। शबे क़द्र के आमाल दो प्रकार के हैं: एक वह आमाल हैं जो हर रात में किये जाते हैं जिनको मुशतरक आमाल कहा जाता है और दूसरे वह आमाल हैं जो हर रात के विशेष आमाल है जिन्हें मख़सूस आमाल कहा जाता है। वह आमाल जो हर रात में किये जाते हैं 1⃣ *ग़ुस्ल* (सूरज के डूबते समय किया जाए और बेहतर है कि मग़रिब व इशा की नमाज़ को इसी ग़ुस्ल के साथ पढ़ा जाय) 2⃣ दो रकअत नमाज़, जिसकी हर रकअत में एक बार सूरह *

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amal e shabe 15shbaan

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🎍💐🌹आमाले शब-ए-बारात  🌹💐🎍 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पन्द्रहवीं शब के आमाल की फजीलत बहुत है इस शब गुस्ल करे और इस शब की बरकतों में एक यह भी है कि इस रात इमाम मोहम्मद मेंहदी अलैहिस्सलाम की विलादत हुई है  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 💐इस रात में कुछ नमाजे और कुछ दुआए है जो हम को अदा करनी चाहिए 🌹🌹जैसे🌹🌹⤵️ 💐इन को अदा करने के दो तरीके हैं ⤵️ 💐पहला तरीका है के दो दो कर के दस रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर-ए-फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद दस बार सूर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े  💐दूसरा तरीका है के दो दो कर के चार रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर ए फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद सौ बार सुर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े                  💐इस नमाज़ की नीयत इस तरह करे ⤵️ 💐दो रकात नमाज पढता / पढ़ती हूँ ( निमे शाबान कुर - बतन इलल्लाह ) 💐और इस तरह इस नमाज़ को अदा करे फिर तस्बी-ए-फातिमा पढ़े 🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 💐अब इस के बाद में कुछ तस्बी है जो हम को अदा करनी है ⤵️ 💐(1)💐  सुब्हानाल्लाह 💐(2) 💐अल्हम्दो लिल्लाह  💐(3) 💐अल्लाहो अकबर 💐(4) 💐ला इलाहा इल्लल्लाह 💐इमाम मुहम्मद बाक़