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"जाफरी होने के बारे में ताने" *dastan no 45

* ﷽✨✨✨✨ *
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 _ * कहानी संख्या _45*
 * * "जाफरी होने के बारे में ताने" *
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 * * "अबू सबाह कनानी" इमाम जाफ़र सादिक (अ.स.) के सबसे बड़े फकिह और शागिर्द इमाम (अस)थे। "एक दिन वह इमाम सादिक (अ.स.) की खिदमत में थे और उन्होंने अर्ज़ किया कि मौला हम जो आपसे वास्ता और ताल्लुक रखते हैं इस वजह से बहुत दर्दनाक ज़बान के ज़ख्म हम पर लोग लगाते हैं!! इमाम (अ.स.) ने कहा: तुम पर कौनसा जबानी ज़ख्म लगा?तो अबू सबाह ने कहा जब भी कभी लोगों से तू तू मैं मैं हो जाए तो फौरन,,जाफरी खबीस,, कह कर ताना देते हैं।  इमाम (अस) ने कहा: क्या लोग सच में तुम्हें मेरी खातिर सर जनिश करते  हैं? अबू सबाह ने कहा: हाँ !!  इमाम ने कहा: कितने पस्त हैं वो अफ़राद।((फिर इमाम ने फरमाया हमारे सहाबी वह हैं जिनके जेरह शदीद होती हैं और वे केवल अल्लाह की खातिर अमल करते हैं और वे केवल अल्लाह से इस अमल का फल पाने की उम्मीद करते हैं, ये मेरे साथी हैं)) !!
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 * संदर्भ: "दस्तानाई उसूल काफ़ी, मोहम्मद मोहम्मदी इश्तारदी, पृष्ठ 442।"
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*📖"جعفرى ہونے پر طعنے"*
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*✍🏻"ابو صباح كنانى"بزرگ ترين فقيہ و شاگرد امام جعفر صادق عليہ السلام" ايک دن امام صادق عليہ السلام كى خدمت ميں موجود تھے اور عرض كى كہ يا مولا ہم جو آپ سے واسطہ اور تعلق ركھتے ہيں اس وجہ سے بہت دردناک زبان كے زخم ہم پر لوگ لگاتے ہيں!! امام عليہ السلام نے فرمايا كہ تمہيں كونسا زبانى زخم لگا!؟ تو ابو صباح نے كہا كہ جب بھى كبھى لوگوں سے توتو ميں ميں ہوجاۓ تو فورا ’’جعفرى خبيث‘‘ كہہ كر طعنہ ديتے ہيں!!۔ امام عليہ السلام نے فرمايا كہ كيا واقعى ميرى خاطر تم لوگوں كو لوگ سرزنش كرتے ہيں!!؟ ابو صباح نے كہا جى ہاں !! تو امام عليہ السلام نے فرمايا كہ كتنے ہى پست ہيں وہ افراد، پھر امام عليہ السلام نے فرمايا كہ ہمارے اصحاب وہ ہيں كہ جنكا ورع شديد ہوتا ہے اور عمل صرف خدا كے لئے كرتے ہيں اور اس عمل كى پاداش فقط خدا سے حاصل كرنےكى اميد ركھتےہيں، يہ ہيں ميرے اصحاب!!"*
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*📚حوالہ"داستانہاى اصول كافى،محمد محمدى اشتہاردى، ص، ۴۴۲"*
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*📿امام_زمانہ (عج) کے ظھور  میں  تعجیل  کے لئے صلوات___ألـلَّـھُــــــمَــ ؏َـجــــــــــِّـلْ لِوَلــــــیِـڪْ ألــــــــــْـفـــــَـرَج!📿*
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