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फिरौन का मसखरा बाज़,dastan

फिरौन का मसखरा बाज़,
 फिरौन के दरबार में एक मसख़रा बाज़ था जिसका काम दूसरों का मज़ाक उड़ाना था, ख़ासकर मूसा और उनके आसपास के लोगों का।  एक दिन, मूसा (pbuh) और उनका भाई हारून फिरौन की हेदायत करने के लिए उसके महल में आए।  मसख़रा बाज़ महल के दरवाजे पर आया और उनसे पूछा कि वे कौन हैं, और क्या चाहते हैं।  उन्होंने कहा कि अल्लाह के भेजे , मूसा और हारून हैं, और उनके हाथों में एक  असा और उनके सर पर टोपी है।  फौरन मसख़रा बाज़ महल में आया और उनने कपड़ों के समान कपड़े पहने और फिरौन के पास आया।  फिरौन ने हँसते हुए उससे पूछा, "यह तुमने क्या पहना है?"  उन्होंने कहा, "यह मूसा का पहनावा है जो अब आपके महल में आया है और पैगंबर और हादी होने का दावा करता है।"
 फिरौन ने उन्हें प्रवेश करने का आदेश दिया।  उन्होंने फिरौन को अपना मोजिज़ा दिखाया और उसे अज़ाबे खुदा से डराया, लेकिन फिरौन ने उनकी नेदाय आसमानी को नहीं सुना और अज़ाबे  के लिए काम किया।  अज़ाब वह दिन था जब मूसा(अ) ने समुद्र को तोड़कर उसे पार किया था।  जब की फिरौन की सेना ने पानी में प्रवेश किया, तो अज़ाबे इलाही ने उन्हें डुबा दिया ,सभी को डुबो दिया, लेकिन उनमें से केवल एक ही बच गया, और वह फिरौन का मसख़रा बाज़ था।  मूसा (pbuh) उसके नेजात पर ताज्जूब करते हैैं और अल्लाह से इसका कारण पूछते है।आवाज़े क़ुदरत आती है , ऐ मूसा!"  मैं किसी को भी अज़ाब नहीं दूंगा जो मेरे दोस्त होने का दिखावा करता है। ”

 (( अनवार नोमानीया।))
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Amaal-e-Shab-e-Qadr in Hindi* उन्नीसवी रात यह शबे क़द्र की पहली रात है और शबे क़द्र के बारे में कहा गया है कि यह वह रात है जो पूरे साल की रातों से अधिक महत्व और फ़ज़ीलत रखती है, और इसमें किया गया अमल हज़ार महीनों के अमल से बेहतर है शबे क़द्र में साल भर की क़िस्मत लिखी जाती है और इसी रात में फ़रिश्ते और मलाएका नाज़िल होते हैं और इमाम ज़माना (अ) की ख़िदमत में पहुंचते हैं और जिसकी क़िस्मत में जो कुछ लिखा गया होता है उसको इमाम ज़माना (अ) के सामने पेश करते हैं। इसलिए हर मुसलमान को चाहिए कि इस रात में पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करे और दुआएं पढ़ता रहे और अपने आने वाले साल को बेहतर बनाने के लिए अल्लाह से दुआ करे। शबे क़द्र के आमाल दो प्रकार के हैं: एक वह आमाल हैं जो हर रात में किये जाते हैं जिनको मुशतरक आमाल कहा जाता है और दूसरे वह आमाल हैं जो हर रात के विशेष आमाल है जिन्हें मख़सूस आमाल कहा जाता है। वह आमाल जो हर रात में किये जाते हैं 1⃣ *ग़ुस्ल* (सूरज के डूबते समय किया जाए और बेहतर है कि मग़रिब व इशा की नमाज़ को इसी ग़ुस्ल के साथ पढ़ा जाय) 2⃣ दो रकअत नमाज़, जिसकी हर रकअत में एक बार सूरह *

बकरा ईद की नमाज़ का तरीक़ा।

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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🎍💐🌹आमाले शब-ए-बारात  🌹💐🎍 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पन्द्रहवीं शब के आमाल की फजीलत बहुत है इस शब गुस्ल करे और इस शब की बरकतों में एक यह भी है कि इस रात इमाम मोहम्मद मेंहदी अलैहिस्सलाम की विलादत हुई है  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 💐इस रात में कुछ नमाजे और कुछ दुआए है जो हम को अदा करनी चाहिए 🌹🌹जैसे🌹🌹⤵️ 💐इन को अदा करने के दो तरीके हैं ⤵️ 💐पहला तरीका है के दो दो कर के दस रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर-ए-फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद दस बार सूर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े  💐दूसरा तरीका है के दो दो कर के चार रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर ए फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद सौ बार सुर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े                  💐इस नमाज़ की नीयत इस तरह करे ⤵️ 💐दो रकात नमाज पढता / पढ़ती हूँ ( निमे शाबान कुर - बतन इलल्लाह ) 💐और इस तरह इस नमाज़ को अदा करे फिर तस्बी-ए-फातिमा पढ़े 🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 💐अब इस के बाद में कुछ तस्बी है जो हम को अदा करनी है ⤵️ 💐(1)💐  सुब्हानाल्लाह 💐(2) 💐अल्हम्दो लिल्लाह  💐(3) 💐अल्लाहो अकबर 💐(4) 💐ला इलाहा इल्लल्लाह 💐इमाम मुहम्मद बाक़