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फजी़लत शबे क़द्र,dastan no 34

* ﷽
  * कहानी संख्या   34
 * फजी़लत शबे क़द्र 

 * हजरते मूसा (अ,)ने अपनी मुनाजात में खोदावंदे आलम से अर्ज़ किया, : हे अल्लाह !  मैं आपकी कुरबत का मुश्ताक हूं। "
 * अल्लाह  ने कहा: मेरी कुर्बत उस शख्स के लिए है जो शबे कद्र में बेदार रहे ।"
 * मूसा(अ,):अल्लाह मैं तेरी रहेमत का तलबगार हूं।
अल्लाह रहीम,मेरी रहेमत उस शख्स के शामिल हाल है जो शबे कद्र में फकी़र व मिस्कीन पर रहेम करे।
हज़रत मूसा (अ,) खोदाया में पुले सेरात से गुज़रने की तमन्ना रखता हूं।
परवरदिगार आलम,ये इजाज़त उस बंदे के लिए है जो शबे कद्र में सदक़ा देता है।
 * हज़रत मूसा (अ,) खोदाया में जन्नत के दरखतों और उसके फलों का आर्जू करता हूं।
 * * अल्लाह : यह अनुमति उस बंदे के लिए है जो शबे कद्र को तस्बीह खोदा में पूरी करता  है। हज़रत मूसा (अ,)खोदाया मैं आतश जहन्नम से निजात का तालिब हूं।
खोदाए मोताल,मेरी नेजात उस शख्स के लिए है जो शबे कद्र इस्तेगफार में गुजा़रे।
हज़रत मूसा(अ,)खोदाया मैं तेरी रज़ा और खुशनुदी का तालिब हूं।
खोदावंदे मोताल,मेरी रेजा़ और खुशनुदी उस शख्स के लिए है जो शबे कद्र में दो रकात नमाज़ अदा करे।

 * 📚1।  साक्षात्कार (लेखक, अयातुल्ला मिर्ज़ा जावद मलिकी तबरीज़ी) फ़ारसी अनुवाद पृष्ठ 234 *
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*✨✨✨✨✨ ﷽✨✨✨✨*
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*☑✨داستان نمبر _*
*📖✨فضیلت شب قدر*
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*✍🏻✨حضرت موسی علیہ السلام نے اپنی مناجات میں خداوند عالم کی بارگاہ میں عرض کیا کہ خدایا ! میں تیری قربت کا مشتاق ہوں۔*
*🔷🔸خداوند عالم نے ارشاد فرمایا: میرا قرب اس شخص کیلئے ہے جو شب قدر میں بیدار ہوگا۔*
*🔷🔸حضرت موسی ! پروردگارا: میں تیری رحمت کا طلب گار ہوں۔*
*🔷🔸خدائے رحیم: میری رحمت اس فرد کے شامل حال ہے جو شب قدر میں فقراء و مساکین پر رحم کرے۔*
*🔷🔸حضرت موسی : خدایا ! میں پل صراط سے گزرنے کی تمنا رکھتا ہوں۔*
*🔷🔸پروردگار عالم : یہ اجازت اس بندہ کیلئے ہے جو شب قدر میں صدقہ دیتا ہے۔*
*🔷🔸حضرت موسی : خدایا ! میں جنت کے درختوں اور اسکے پھلوں کی آرزو کرتا ہوں۔*
*🔷🔸خداوند متعال : یہ نعمت عظمی اس انسان کیلئے ہے جو شب قدر تسبیح خدا میں مشغول رہتا ہے*
*🔷🔸حضرت موسی : خدایا ! میں آتش جھنم سے نجات کا طالب ہوں۔*
*🔷🔸خداوند متعال : میری نجات اس شخص کیلئے ہے جو شب قدر حالت استغفار میں گزار دے۔*
*🔷🔸حضرت موسی : خدایا ! میں تیری رضا و خوشنودی کا خواہشمند ہوں*
*🔷🔸خداوند متعال : میری رضا و خوشنودی اس بندہ کیلئے ہے جو شب قدر میں دو رکعت نماز بجا لائے*

*🔷🔸نوٹ:*
*👈🏻 آئیں ہم اور آپ بارگاہ خداوندی میں دست دعا بلند کرکے اس عمل کو بجالانے کی توفیق طلب کریں کہ خدایا ! ہماری شب قدر ویسے ہی گزرے جیسے تو چاہتا ہے اور  یہ بھی دعا کرتے ہیں کہ ہماری عبادتوں کو اپنی بارگاہ میں شرف قبولیت عطا فرما اور محمد و آل محمد کے صدقہ میں ہماری مغفرت فرما۔ آمین۔*
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*📚1۔ المراقبات (مولف ، آیة اللہ میرزا جواد ملکی تبریزی) فارسی ترجمہ صفحہ 234*
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*📿امام_زمانہ (عج) کے ظھور  میں  تعجیل  کے لئے صلوات___ألـلَّـھُــــــمَــ ؏َـجــــــــــِّـلْ لِوَلــــــیِـڪْ ألــــــــــْـفـــــَـرَج!📿*
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Amaal-e-Shab-e-Qadr in Hindi* उन्नीसवी रात यह शबे क़द्र की पहली रात है और शबे क़द्र के बारे में कहा गया है कि यह वह रात है जो पूरे साल की रातों से अधिक महत्व और फ़ज़ीलत रखती है, और इसमें किया गया अमल हज़ार महीनों के अमल से बेहतर है शबे क़द्र में साल भर की क़िस्मत लिखी जाती है और इसी रात में फ़रिश्ते और मलाएका नाज़िल होते हैं और इमाम ज़माना (अ) की ख़िदमत में पहुंचते हैं और जिसकी क़िस्मत में जो कुछ लिखा गया होता है उसको इमाम ज़माना (अ) के सामने पेश करते हैं। इसलिए हर मुसलमान को चाहिए कि इस रात में पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करे और दुआएं पढ़ता रहे और अपने आने वाले साल को बेहतर बनाने के लिए अल्लाह से दुआ करे। शबे क़द्र के आमाल दो प्रकार के हैं: एक वह आमाल हैं जो हर रात में किये जाते हैं जिनको मुशतरक आमाल कहा जाता है और दूसरे वह आमाल हैं जो हर रात के विशेष आमाल है जिन्हें मख़सूस आमाल कहा जाता है। वह आमाल जो हर रात में किये जाते हैं 1⃣ *ग़ुस्ल* (सूरज के डूबते समय किया जाए और बेहतर है कि मग़रिब व इशा की नमाज़ को इसी ग़ुस्ल के साथ पढ़ा जाय) 2⃣ दो रकअत नमाज़, जिसकी हर रकअत में एक बार सूरह *

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amal e shabe 15shbaan

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🎍💐🌹आमाले शब-ए-बारात  🌹💐🎍 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पन्द्रहवीं शब के आमाल की फजीलत बहुत है इस शब गुस्ल करे और इस शब की बरकतों में एक यह भी है कि इस रात इमाम मोहम्मद मेंहदी अलैहिस्सलाम की विलादत हुई है  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 💐इस रात में कुछ नमाजे और कुछ दुआए है जो हम को अदा करनी चाहिए 🌹🌹जैसे🌹🌹⤵️ 💐इन को अदा करने के दो तरीके हैं ⤵️ 💐पहला तरीका है के दो दो कर के दस रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर-ए-फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद दस बार सूर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े  💐दूसरा तरीका है के दो दो कर के चार रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर ए फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद सौ बार सुर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े                  💐इस नमाज़ की नीयत इस तरह करे ⤵️ 💐दो रकात नमाज पढता / पढ़ती हूँ ( निमे शाबान कुर - बतन इलल्लाह ) 💐और इस तरह इस नमाज़ को अदा करे फिर तस्बी-ए-फातिमा पढ़े 🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 💐अब इस के बाद में कुछ तस्बी है जो हम को अदा करनी है ⤵️ 💐(1)💐  सुब्हानाल्लाह 💐(2) 💐अल्हम्दो लिल्लाह  💐(3) 💐अल्लाहो अकबर 💐(4) 💐ला इलाहा इल्लल्लाह 💐इमाम मुहम्मद बाक़