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dastan no 22

* ﷽✨✨✨✨ *
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 * * "कहानी 22 *
 * * पहले नमाज़ या इफ्तार __?
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 *"इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.) कहते हैं: रमज़ान के महीने में, पहले नमाज़ अदा करो और फिर रोज़ा खोलो, लेकिन जब आप   कुछ ऐसे लोगों के साथ हैं जो इफ्तार का इंतज़ार कर रहे हैं। अगर आपको उनके साथ रोज़ा खोलना है, तो इन्कार न करें।   पहले रोज़ा खोलना और फिर नमाज़ पढ़ना।  रावी ने पुछा ऐसा क्यों मौला(अ.)कि पहले नमाज़ पढ़ुँ, ?हज़रत ने जवाब दिया ,उस वक़्त तुम्हारे सामने दो ज़िम्मेदारियाँ हैं, इफ्तार और नमाज़ लेहाज़ा आग़ाज़ उस अमल से करो जो दुसरे पर तरजीह और फौक़ियत रखता है और वो नमाज़ है,! फिर आप ने फरमाया तुम ने रोज़ा भी रखा है, इसलिए, यदि आप रोज़ा रखे हुए नमाज़ पढ़ते हैं और दिन पूरा करते हैं  तो यह मेरे नज़दीक  बहुत पसंदीदा और प्रिय अमल है। 
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 * 'संदर्भ "वासिल अल-शिया" खंड 10पी। 150""
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*☑"داستان"*
*📖پہلے نماز یا افطار __؟*
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*✍🏻"امام محمد باقر علیہ السلام فرماتے ہیں__ رمضان کے مہینہ میں پہلے نماز پڑھو پھر افطار کرو, مگر یہ کہ تم کچھ افراد کے ہمراہ ہو جو افطار کےانتظار میں بیٹھے ہوۓ ہوں__اگر تمہیں ان کے ساتھ ہی افطار کرنا ہے تو پھر مخالفت مت کرنا__پہلے افطار کرلینا پھر نماز پڑھنا___راوی نے پوچھا__ایسا کیوں مولا کہ پہلے نماز پڑھوں__؟ حضرت نے جواب دیا__اس وقت تمہارے سامنے دو ذمہ داریاں ہیں__افطار اور نماز __ لہذا آغاز اس عمل سے کرو جو دوسرے پر ترجیح و فوقیت رکھتا ہے اور وہ نماز ہے__پھر آپ نے فرمایا__ تم نے روزہ بھی رکھا ہے__اس لئے اگر روزہ کی حالت میں نماز پڑھتے ہو اور دن کو مکمل کرتے ہو تو یہ میرے نزدیک بہت پسندیدہ و محبوب ہے"*
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*📚 حوالہ" وسائل الشیعہ؛ج١۰؛ص١٥۰"*
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*📿امام_زمانہ (عج) کے ظھور  میں  تعجیل  کے لئے صلوات___ألـلَّـھُــــــمَــ ؏َـجــــــــــِّـلْ لِوَلــــــیِـڪْ ألــــــــــْـفـــــَـرَج!📿*
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