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शिया की कुछ खुसुसियत ,इमाम (अ,)की जबानी।dastan no 24

* ﷽✨✨✨✨ *
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 _ * कहानी नंबर _२४ *
* "शिया की कुछ विशेषताएं" *
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 अबू इस्माईल , ने कहा: मैं इमाम बाक़िर(अ,) की खिदमत  में मौजूद था ,अर्ज़ की जहां मैं रहेता  हूं   वहां आपके शिया काफी तादाद में मौजूद हैं ।इमाम (अ,)ने फरमाया, क्या उनमें से अमीर लोग गरीबों किं मदद करते हैं ? और क्या वे उनकी देखभाल करते हैं? और क्या वे लोगों के साथ मेहरबान  हैं? और क्या उनमें से जो नेक लोग हैं वो लोगों के साथ हुस्ने सुलूक करते हैं । क्या उनके बीच भाईचारा है या नहीं?  अबू इस्माइल ने कहा, " 'नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है।"जो उनमें पाई जाती हो  "इमाम (अ.स.) ने कहा," वे शिया नहीं हैं।(क्यूंकि हमारा शिया वो है जो अपने अखलाक से हमारी सीरत को पेश करे और समाज में इस तरह ज़िन्दगी गुजारे की लोगों को बताना ना पड़े की ये अहलेबैत (अ,)के मानने वाले हैं बल्कि लोग किरदार को देख कर खुद कहें कि ये शिया है इमाम(अ,) का )!
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 * संदर्भ: "दस्तानाई उसूल काफ़ी, मोहम्मद मोहम्मदी एश्तेहरदी पृष्ठ ४७८।"
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*✨✨✨✨✨ ﷽✨✨✨✨*
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*📖"شيعہ كى چند خصوصيات"*
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*✍🏻"ابو اسماعيل كہتے ہيں كہ ميں امام باقر عليہ السلام كى خدمت ميں حاضر تھا عرض كى كہ جہاں ميں رہتا ہوں وہاں آپ كے ماننے والے بہت ہيں، امام(؏)  نے فرمايا كہ كيا ان ميں سے امير لوگ غريبوں كى مدد كرتے ہيں؟ اور كيا ان كے ساتھ مھربان ہیں؟ اور كيا ان كا خيال ركھتے ہيں؟ اور كيا ان شيعوں ميں سے جو نيكوكار لوگ ہيں وہ گنہگاروں كے ساتھ حسن اخلاق كے ساتھ پيش آتے ہيں؟ اور كيا آپس ميں برادرانہ تعلق ہے يا نہيں؟ ابو اسماعيل كہتا ہے كہ ميں نے كہا كہ نہيں ايسا كچھ نہيں ہے۔ تو امام(؏) نے فرمايا كہ ’’ يہ شيعہ نہيں ہيں شيعہ تو وہ ہيں جو ان صفات كے حامل ہوں ‘‘*
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*📚حوالہ"داستانہاى اصول كافى،محمد محمدى اشتہاردى، ص، ۴۶۷"*
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*📿امام_زمانہ (عج) کے ظھور  میں  تعجیل  کے لئے صلوات___ألـلَّـھُــــــمَــ ؏َـجــــــــــِّـلْ لِوَلــــــیِـڪْ ألــــــــــْـفـــــَـرَج!📿*
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