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* हज़रत अली (अ.स.) ने कहा: गरीबी और कठिनाई सबसे बड़ी मौत है।dastan no 49

* ﷽✨✨✨✨ *
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 * कहानी नंबर 49 "*
 * अली (अ.स.) ने कहा:): 
الفقر موت الاكبر۔
  * हज़रत अली (अ.स.) ने कहा: गरीबी और कठिनाई सबसे बड़ी मौत है।
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  * "मौत एक व्यक्ति को ज़िन्दगी  में केवल एक बार आती है और इसके साथ ही उसके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं, लेकिन गरीबी और कठिनाई के कारण, एक इंसान बार-बार तकलीफ़ उठाता है। कभी-कभी शारीरिक दर्द।  कभी-कभी रूहानी पीड़ा - कभी-कभी भूख के कारण शरीर कांपने लगता है, कभी-कभी उसे अपनी  पत्नी, बच्चों और अन्य लोगों की परेशानियों को देखकर भी दिली कष्ट उठाना पड़ता है  उद्देश्य यह है कि गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति अपने ज़ाहेरी जीवन के बावजूद बार-बार मरता है और इस दुख के संकट को समाप्त करता है। इसलिए, मेरे वफादार भाइयों !! कभी भी किसी गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति का अपमान न करें और अगर !!  यदि आप उसे कुछ नहीं दे सकते हैं, तो उसे उसके खुद्दारी और इज़्ज़त को मत छीन लेना , क्योंकि एक गरीब व्यक्ति की सांस आसमान से टकराती है और फिर उसका फैसला अल्लाह ही करता है ... *
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*📖☀️قال علی (ع): الفقر موت الاكبر۔* 
 *حضرت علی علیه السلام نے فرمایا: فقر و تنگدستی موت اکبر ہے۔* 
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 *✍🏻☀️شرح👈🏻"موت انسان کو زندگی میں صرف ایک بار آتی ہے اور اسی کے ساتھ اس کی ساری تکلیفیں بھی ختم ہو جاتی ہیں لیکن فقیری اور تنگدستی کی وجہ سے انسان بار بار تکلیف اٹھاتا ہے۔۔ کبھی جسمانی تکلیف تو کبھی روحانی تکلیف۔۔ کبھی بھوک کی وجہ سے جسم لرزتا ہے تو کبھی اپنے زیردست بیوی بچوں اور دیگر افراد کی پریشانی دیکھ کر روحانی تکلیف اٹھانا پڑتی ہے کبھی امیروں کے ذریعہ شرمندگی کا  سامنا کرنا پڑتا ہے تو کبھی دشمنوں کے طنعوں کے نشتر دل میں پیوست کئے جاتے ہیں۔۔ الغرض کہ فقیر اور نادار انسان ظاہری زندگی ہونے کے باوجود بار بار مرتا ہے اور اس تکلیف کی شدت کو برداشت کرتا  رہتا ہے۔۔ لہذا میرے ایمانی بھائیوں!! کبھی کسی غریب اور مفلس کی اہانت نہ کرنا اور اگر اس کو کچھ دے نہ سکو تو اس سے اس کی خودداری اور عزت کو مت چھین لینا اس لئے کہ ایک غریب و مفلس کی آہ آسمان سے ٹکراتی ہے اور پھر اس کا فیصلہ خدا کے ذمہ ہے۔۔۔۔*
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*📿امام_زمانہ (عج) کے ظھور  میں  تعجیل  کے لئے صلوات___ألـلَّـھُــــــمَــ ؏َـجــــــــــِّـلْ لِوَلــــــیِـڪْ ألــــــــــْـفـــــَـرَج!📿*
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Amaal-e-Shab-e-Qadr in Hindi* उन्नीसवी रात यह शबे क़द्र की पहली रात है और शबे क़द्र के बारे में कहा गया है कि यह वह रात है जो पूरे साल की रातों से अधिक महत्व और फ़ज़ीलत रखती है, और इसमें किया गया अमल हज़ार महीनों के अमल से बेहतर है शबे क़द्र में साल भर की क़िस्मत लिखी जाती है और इसी रात में फ़रिश्ते और मलाएका नाज़िल होते हैं और इमाम ज़माना (अ) की ख़िदमत में पहुंचते हैं और जिसकी क़िस्मत में जो कुछ लिखा गया होता है उसको इमाम ज़माना (अ) के सामने पेश करते हैं। इसलिए हर मुसलमान को चाहिए कि इस रात में पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करे और दुआएं पढ़ता रहे और अपने आने वाले साल को बेहतर बनाने के लिए अल्लाह से दुआ करे। शबे क़द्र के आमाल दो प्रकार के हैं: एक वह आमाल हैं जो हर रात में किये जाते हैं जिनको मुशतरक आमाल कहा जाता है और दूसरे वह आमाल हैं जो हर रात के विशेष आमाल है जिन्हें मख़सूस आमाल कहा जाता है। वह आमाल जो हर रात में किये जाते हैं 1⃣ *ग़ुस्ल* (सूरज के डूबते समय किया जाए और बेहतर है कि मग़रिब व इशा की नमाज़ को इसी ग़ुस्ल के साथ पढ़ा जाय) 2⃣ दो रकअत नमाज़, जिसकी हर रकअत में एक बार सूरह *

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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🎍💐🌹आमाले शब-ए-बारात  🌹💐🎍 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पन्द्रहवीं शब के आमाल की फजीलत बहुत है इस शब गुस्ल करे और इस शब की बरकतों में एक यह भी है कि इस रात इमाम मोहम्मद मेंहदी अलैहिस्सलाम की विलादत हुई है  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 💐इस रात में कुछ नमाजे और कुछ दुआए है जो हम को अदा करनी चाहिए 🌹🌹जैसे🌹🌹⤵️ 💐इन को अदा करने के दो तरीके हैं ⤵️ 💐पहला तरीका है के दो दो कर के दस रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर-ए-फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद दस बार सूर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े  💐दूसरा तरीका है के दो दो कर के चार रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर ए फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद सौ बार सुर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े                  💐इस नमाज़ की नीयत इस तरह करे ⤵️ 💐दो रकात नमाज पढता / पढ़ती हूँ ( निमे शाबान कुर - बतन इलल्लाह ) 💐और इस तरह इस नमाज़ को अदा करे फिर तस्बी-ए-फातिमा पढ़े 🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 💐अब इस के बाद में कुछ तस्बी है जो हम को अदा करनी है ⤵️ 💐(1)💐  सुब्हानाल्लाह 💐(2) 💐अल्हम्दो लिल्लाह  💐(3) 💐अल्लाहो अकबर 💐(4) 💐ला इलाहा इल्लल्लाह 💐इमाम मुहम्मद बाक़