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((उसका बाप उसपर कुर्बान))अज़मत मसूमा क़ुम,(स,) dastan no 52

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      ((उसका बाप उसपर कुर्बान))अजमत मसूमा कुम,

दास्तान नंबर 52

 * इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) के समय में शियाओं का एक समूह इमाम से अपने सवालों के जवाब पाने के लिए मदीना पहुंचा, इत्तेफ़ाक़ से इमाम एक सफर पर थे लेकिन ये सोचते  हुए कि वह जल्द से जल्द अपने वतन लौट आएंगे।  उन्होंने अपने प्रश्न लिखे और उन्हें इमाम के रिश्तेदारों को सौंपने के लिए मजबूर हो गए। थोड़ी देर बाद, जब वे सभी अलविदा कहने आए, तो उन्होंने देखा कि फातिमा मासुमा (कुम) ने जवाब लिखे हैं और उन्हें तैयार किया है। इन लोगों को उन सवालों के जवाब दिए।  वह बहुत खुश हुए और अपने वतन के लिए रवाना हो गए। रास्ते में, वह हज़रत मूसा काज़िम (अ.स.) से मिले और  इमाम को अपनी कहानी सुनाई।
 * इमाम ने उनसे नोट (उत्तर पुस्तिका) ले ली और उसे पढ़ना शुरू कर दिया और जवाबों को पढ़ने के बाद उन्होंने तीन बार कहा कि, उसका बाप उसपर कुर्बान (1) *यानी जवाबात बिल्कुल वहीं थे जो इमाम देते ।यानी बीबी इतना खोदा और उनके वलियों से करीब थीं की मेज़ाजे इमामत को समझने के लाइक हो गईं थीं।
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 * *1- مہتاب اھل بیت صفحہ * 33 *

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 اللھم صل علي محمد و  آل محمد وعجل فرجھم📿 *
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     *🌹اس کا باپ اس پر قربان 🌹*



*حضرت امام موسی کاظم علیہ السلام کے زمانے میں شیعوں کا ایک گروہ امام سے اپنے سوالات کے جوابات حاصل کرنے کی غرض سے مدینہ پہونچا، اتفاق ایسا کہ امام سفر پر تھے لیکن اس بات کو مدنظر رکھتے ہوے کہ وہ جلدازجلد اپنے وطن کو پلٹنے پر مجبور تھے انھوں نے اپنے سوالات لکھےاور امام کے رشتہ داروں کے حوالے کر دیاکچھ دیر کے بعد جب وہ سب الوداع کہنے کی غرض سے آےتو کیا دیکھا کہ جناب فاطمہ معصومہ(قم) نے جوابات لکھ کر آمادہ کر رکھا ہے یہ لوگ اپنے سوالات کے جوابات پاکر بہت خوش ہوےاور اپنے وطن کے لیے روانہ ہوگے،راستے میں حضرت موسی کاظم علیہ السلام سے ملاقات ہو گئی تو ان لوگوں نے اپنے واقعہ کو امام سے بیان کیا*
*امام نے ان سے وہ نوشتہ( جواب نامہ) لیا اورپڑھناشروع کیااور جوابات کی تایید کے بعد تین مرتبہ ارشاد فرمایااس کا باپ اس پر قربان(1)*


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*📚1۔مہتاب اہل بیت صفحہ 33*

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*📿اللھم صل علی محمد وآل محمد وعجل فرجھم📿*
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