Skip to main content

📖☀️Success आज़माइश के बाद मिलती है *dastan no 48

* ﷽✨✨✨✨ *
 * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *
 * कहानी नंबर 48*
 * 📖☀️Success आज़माइश के बाद मिलती है *
 * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈┈ •• *
 * एक बार की बात है, एक राजा को उपहार के रूप में दो बाज़ मिले। उसने कभी इतने सुंदर पक्षी नहीं देखे थे। राजा ने दोनों पक्षियों को अपने सेवक को तरबियत करने के लिए दिया। "*

 * "एक दिन नौकर ने राजा को बताया कि एक पक्षी ऊँचा उड़ रहा है और दूसरा अपनी शाखा से  जिस दिन  से आया है नहीं उड़ रहा है ..." *

 * * "राजा ने सभी चिकित्सकों और राज्य के जादूगरों को बुलवाया लेकिन कोई भी इस ईगल को उड़ा नहीं सका ... राजा ने इस मुद्दे को अपने सलाहकारों के सामने रखा ... घंटे, दिन और दिन महीनों में बदल गए लेकिन  उड़ा नहीं सके ... "*

 * *  "राजा ने किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाने का फैसला किया जो कुदरत में गहरी दिलचस्पी रखता हो ... राजा ने अपने सलाहकारों को आदेश दिया कि वे किसी ऐसे व्यक्ति को खोजें, जिसने जंगल में वर्षों बिताए हों ..."  *

 * * "अगले दिन राजा ने महल के बागों में उड़ते हुए बाज को देखा तो हैरान रह गया ... राजा ने उस आदमी को बुलाया जिसने बाज को उड़ाया था ... इस आदमी को राजा के सामने पेश किया गया  ...  राजा ने पूछा, "तुमने बाज को कैसे उड़ाया?"

 * *  "उसने मुस्कुराते हुए कहा कि मैंने उस शाखा को काट दिया जिस पर मैं बैठा था ... आगे बढ़ने के कई अवसर हैं लेकिन हम आगे बढ़ने की कोशिश नहीं करते ..." *

 * *  "हम अपने राहत ,आराम से क़दम बाहर नहीं निकालते। नयी आज़माइश और नया अनुभव जीवन में आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है, आज़माइशों का सामना करें। यही सफलता का एकमात्र रास्ता है ..." *
 * ⊰⊰✿✿⊱⊱ ┈
share please
contECT us
+989056936120
https://chat.whatsapp.com/FIWUARZSWJ3CRi91NbEeZr
*✨✨✨✨✨ ﷽✨✨✨✨*
*•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈••*
*📖☀️کامیابی آزمائشوں کے بعد ہوتی ہے*
*•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈••*
*✍🏻☀️ایک دفعہ کا ذکر ہے ایک بادشاہ کو دو باز تحفے میں ملے۔۔اس نے اتنے خوبصورت پرندے کبھی نہیں دیکھے تھے۔۔بادشاہ نے دونوں پرندے اپنے ملازم کو دیئے کہ وہ ان کی تربیت کرے۔۔"*

*♦🔹"ایک دن ملازم نے بادشاہ کو بتایا کہ ایک پرندہ اونچی اڑان اڑ رہا ہے اور دوسرا جس دن سے آیا ہے اپنی شاخ سے نہیں اڑ پا رہا۔۔۔"*

*♦🔹"بادشاہ نے مملکت کے تمام معالجوں اور جادوگروں کو طلب کر لیا لیکن کوئی اس باز کو نہ اڑا سکا۔۔۔بادشاہ نے اپنے مشیروں کے سامنے یہ مسئلہ رکھا۔۔۔گھنٹے، دن، اور دن مہینوں میں ڈھل گئے لیکن باز نہ اڑ سکا۔۔۔"*

*♦🔹"بادشاہ نے کسی ایسے شخص کو بلانے کا فیصلہ کیا جو قدرت سے گہری دلچسپی رکھتا ہو۔۔۔ بادشاہ نے اپنے مشیروں کو حکم دیا کہ کسی ایسے شخص کو ڈھونڈ کر لاؤ جو برسوں جنگلات میں گزار چکا ہو۔۔۔"*

*♦🔹"اگلے دن بادشاہ باز کو محل کے باغوں میں اڑتے ہوئے دیکھ کر حیران رہ گیا۔۔۔ بادشاہ نے اس شخص کو طلب کیا جس نے باز کو اڑایا تھا۔۔۔اس شخص کو بادشاہ کے سامنے پیش کیا گیا،، بادشاہ نے پوچھا تم نے باز کو کیسے اڑایا۔۔؟*

*♦🔹"وہ مسکرا کر بولا میں نے وہ شاخ کاٹ دی جس پر باز بیٹھا تھا۔۔۔آگے بڑھنے کے مواقع بہت ہیں لیکن ہم آگے بڑھنے کی کوشش نہیں کرتے۔۔"*

*♦️🔹"ہم اپنی آسائشوں سے قدم باہر ہی نہیں نکالتے۔۔نئی آزمائشیں اور نئے تجربے ہی زندگی میں آگے بڑھنے کی وجہ بنتے ہیں،، آزمائشوں کا مقابلہ کریں یہی کامیابی کا واحد راستہ ہے۔۔"*
*•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈••*
*📿امام_زمانہ (عج) کے ظھور  میں  تعجیل  کے لئے صلوات___ألـلَّـھُــــــمَــ ؏َـجــــــــــِّـلْ لِوَلــــــیِـڪْ ألــــــــــْـفـــــَـرَج!📿*
*•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈•

Comments

Popular posts from this blog

अमाले शबे कद्र हिंदी,amaal e shab e qadr in hindi,

Amaal-e-Shab-e-Qadr in Hindi* उन्नीसवी रात यह शबे क़द्र की पहली रात है और शबे क़द्र के बारे में कहा गया है कि यह वह रात है जो पूरे साल की रातों से अधिक महत्व और फ़ज़ीलत रखती है, और इसमें किया गया अमल हज़ार महीनों के अमल से बेहतर है शबे क़द्र में साल भर की क़िस्मत लिखी जाती है और इसी रात में फ़रिश्ते और मलाएका नाज़िल होते हैं और इमाम ज़माना (अ) की ख़िदमत में पहुंचते हैं और जिसकी क़िस्मत में जो कुछ लिखा गया होता है उसको इमाम ज़माना (अ) के सामने पेश करते हैं। इसलिए हर मुसलमान को चाहिए कि इस रात में पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करे और दुआएं पढ़ता रहे और अपने आने वाले साल को बेहतर बनाने के लिए अल्लाह से दुआ करे। शबे क़द्र के आमाल दो प्रकार के हैं: एक वह आमाल हैं जो हर रात में किये जाते हैं जिनको मुशतरक आमाल कहा जाता है और दूसरे वह आमाल हैं जो हर रात के विशेष आमाल है जिन्हें मख़सूस आमाल कहा जाता है। वह आमाल जो हर रात में किये जाते हैं 1⃣ *ग़ुस्ल* (सूरज के डूबते समय किया जाए और बेहतर है कि मग़रिब व इशा की नमाज़ को इसी ग़ुस्ल के साथ पढ़ा जाय) 2⃣ दो रकअत नमाज़, जिसकी हर रकअत में एक बार सूरह *

बकरा ईद की नमाज़ का तरीक़ा।

 बकरा ईद की नमाज़* १. बकरा ईद की नमाज़ को जमाअत  के अलावा फुरादा नमाज़ करके भी अदा किया जा  सकता है । २.बकरा ईद की नमाज़ ज़ोहर से पहले कभी भी पढ़ी जा सकती है । ३. ये दो रकात की नमाज़ होगी  बस नियत करें की *नमाज़ ए बकरा ईद  पढ़ता हूं सुन्नत कुरबतन इल्लल्लाह* । पहली रकात में सुर ए अलहमद के बाद  सुरा ए अल-आला पढ़ें  *बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निररहिम* *सब्बे हिसमा रब्बिकल आ’ला अल्लज़ी ख़लक़ा फ़सव्वा वल्लज़ी क़द दरा फ़हादा वल्लज़ी अख़रजल मर’आ फजा'अलहु ग़ोसाअन अहवा सनुक़रेओका फला तनसा, इल्ला माँशा'अल्लाहो इन्ना हु यालामुल जहरा वमा यखफ़ा वनोयस्सीरुका लिल्युसरा फज़क्किर इन नफ़ा'अतिज़्ज़िकरा सयज़्ज़क्करो मयीं यख़शा व यतजन्नबोहल अशक़ा अल्लज़ी यस्लन नारल कुबरा सुम्मा ला यमूतो फीहा वला यहया क़द अफ़लहा मन तज़क्का वज़ाकरस मा रब्बेही फसल्ला बल तुअसेरूनल हयातद दुनिया वल आखीरतु खैरुन व अबक़ा इन्ना हाज़ा लफीस्सुहुफिल ऊला सुहुफ़े इब्राहीमा वा मूसा* । इसके बाद 5 बार तकबीर ‌*अल्लाह हो अकबर * कहे और हर तकबीर के बाद हाथ उठाकर नीचे दी हुई दूआ पढे़ याद रहे 5 बार पढ़नी है ये दुआ  *अल्ला हुम्मा अहलल किब

amal e shabe 15shbaan

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🎍💐🌹आमाले शब-ए-बारात  🌹💐🎍 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पन्द्रहवीं शब के आमाल की फजीलत बहुत है इस शब गुस्ल करे और इस शब की बरकतों में एक यह भी है कि इस रात इमाम मोहम्मद मेंहदी अलैहिस्सलाम की विलादत हुई है  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 💐इस रात में कुछ नमाजे और कुछ दुआए है जो हम को अदा करनी चाहिए 🌹🌹जैसे🌹🌹⤵️ 💐इन को अदा करने के दो तरीके हैं ⤵️ 💐पहला तरीका है के दो दो कर के दस रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर-ए-फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद दस बार सूर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े  💐दूसरा तरीका है के दो दो कर के चार रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर ए फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद सौ बार सुर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े                  💐इस नमाज़ की नीयत इस तरह करे ⤵️ 💐दो रकात नमाज पढता / पढ़ती हूँ ( निमे शाबान कुर - बतन इलल्लाह ) 💐और इस तरह इस नमाज़ को अदा करे फिर तस्बी-ए-फातिमा पढ़े 🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 💐अब इस के बाद में कुछ तस्बी है जो हम को अदा करनी है ⤵️ 💐(1)💐  सुब्हानाल्लाह 💐(2) 💐अल्हम्दो लिल्लाह  💐(3) 💐अल्लाहो अकबर 💐(4) 💐ला इलाहा इल्लल्लाह 💐इमाम मुहम्मद बाक़