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आमाले दहवुल अर्ज़( यानी जिस दिन ज़मीन बिछाई गई)

आमाले दहवुल अर्ज़( यानी जिस दिन ज़मीन बिछाई गई)
कल का दिन ज़मीन के निर्माण का दिन है,इस दिन के कुछ मखसूस आमल वारिद हुए है,जिनमें से अगर कोई इस दिन रोज़ा रखता है तो उसे 70 साल के रोज़ा रखने का सवाब मिलेगा।
➡️ आमाल।

1️⃣ रोज़ा
2️⃣ गुस्ल
3️⃣ दो रकत नमाज़ पढ़ना ज़ोहर के वक़्त जिसके पढ़ने का तरीका ये है कि हर रकात में सूरे हम्द के बाद पांच बार सुरे शम्श और नमाज़ के बाद पढ़े, ला हौला वला कूव्वता इल्ला बिल्ला हिल अलियुल अज़ीम,।
4️⃣जियारत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम।
और बहुत सी दुवाओं का ज़िक्र मोफातिह में हुआ है अगर कोई पढ़ना चाहे तो पढ़ सकता है।
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❤️25ذی القعده..... دحوالارض


 اس دن روزہ رکھنا 
ستر 70 سال کے گناہوں کا کفارہ ہے 
سال کے چار اہم دنوں میں سے ایک اہم اور عظیم دن (روزِ دحو الارض) ہے.
یہ دن حضرت ابراھیم اور حضرت عیسیؑ کی پیدائش کا دن بھی ہے.
یعنی 25 ذیقعدہ کا دن
مورخہ 17 جولائی 2020،  بروز جمعہ
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دحو الارض کے معنی زمین کو پھیلانے کے ہیں.
ابتدا میں زمین کی پوری سطح، پانی سے ڈھکی ہوئی تھی. 
اس پر حیات کا نام و نشان نہ تھا. پھر الله سبحانہ نے 25 ذیقعدہ کے دن سے پانیوں کو زمین کی نچلی سطح میں منتقل کیا اور سب سے پہلے کعبہ کی زمین نمودار ہوئی اور آہستہ آہستہ خشکی پھیلتی گئی اور یہ زمین، سکونت و رہائش کے قابل بنی.
چونکہ
زندگی کا یہ آغاز الله کی عظیم رحمت سے ہوا 
اس لئے یہ دن، ایک عظیم اور بابرکت دن کی حیثیت رکھتا ہے.
حضرت علی(علیہ السلام) سے کسی نے سوال کیا کہ مکہ کو مکہ کیوں کہتے ہیں؟  
آپ نے فرمایا: 
«لأن الله مك الأرض من تحتها، أي دحاها.
اس لئے کہ زمین، مکہ کے نیچے سے پھیلنا شروع ہوئی»۔
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اعمال :
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مفاتیح الجنان میں آیا ہے کہ 
احادیث کے مطابق جو شخص اس دن روزہ رکھے 
اور اس رات عبادت میں رہے اس کےلئے سو سال کی عبادت کا ثواب لکھا جائے گا اور اس دن جو کچھ بھی زمین و آسمان کی خلقت میں وجود رکھتا ہے اس روزہ دار کےلئے استغفار کرتے ہیں.
یہ وہ دن ہے جس دن رحمت خدا پھیلا دی جاتی ہے اس دن کی عبادت اور ذکر خدا کے لئے اجتماع کا بے حد ثواب ہے ۔اس دن کے لئے روزہ ،عبادت ، ذکر خدا اور غسل کے علاوہ دو عمل وارد ہوئے ہیں:
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یہ دن بہت بابرکت دن ہے 
اور اس کے کچھ مخصوص اعمال ہیں:

۱: روزہ رکھنا
(اس دن کا روزہ ستر سال کا کفارہ ہے)
۲: شب دحوالارض کو بیدار رہنا
۳: اس دن کی مخصوص دعائیں پڑھنا

۴: اس دن غسل کرنا اور ظہر کے نزدیک اس طریقے سے نماز پڑھنا۔
نیت: دو رکعت نمازِ روزِ دحو الارض پڑھتا ہوں قربة الی الله
ہررکعت میں سورہ حمد کے بعد پانچ مرتبہ سورہ الشمس پڑھے اور سلام کے بعد کہے:

 لا حَوْلَ و لا قوَّهَ اِلّا بِالله العلي العظيم"  اور اس دعا کو پڑھے " يا مُقيلَ الْعَثَراتِ اَقِلْني عَثْرَتي يا مُجيبَ الدَّعَواتِ اَجِبْ دَعْوَتي يا سامِعَ الْاَصْواتِ اِسْمَعْ صَوْتي وَ ارْحَمْني و تَجاوَزْ عَنْ سَيئاتي وَ ما عِنْدي يا ذَالْجَلالِ وَ الْاِکْرام

۵: مفاتیح الجنان میں موجود اس دن کی دعا پڑھنا جو ان کلمات سے شروع ہوتی ہے:
اللّهمّ يا داحِي الْکعبهَ وَ فالِقَ الْحَبَّه.. "
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مجھ حقیر کو بهی ضرور دعاؤں میں یاد رکھئے گا.

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