Skip to main content

* इमाम रज़ा(अ,स) का मुनाज़ेरा,dastan no,57

* 🌹✨✨✨ بسمہ تعالی🌹✨✨✨ *
   

   * * इमाम रज़ा(अ,स) का मुनाज़ेरा ! * 
                     कहानी नम्बर,57
 इमाम अली रज़ा (अ.स.) इब्ने रामिन (फ़क़ीह) से पूछते हैं: हे इब्ने रामिन! मुझे बताओ, जब  पैगम्बर (स,) ने मदीना छोड़ा , तो उन्होंने किसी को अपना जानशीन बनाया था या नहीं? *
 * इब्न रामिन ने उत्तर दिया: उन्होंने हज़रत अली (अ.स.) को अपना जानशीन बनाया था।
 इमाम रज़ा (अ.स.) ने पूछा: हे रामिन तो कियुं, नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मदीना के लोगों को जानशीन चुनने का आदेश नहीं दिया, जबकि आपकी राय में किसी भी सूरत में आप का इज्तेमा ग़लत नहीं हो सकता है। *
 इब्ने रामिन ने उत्तर दिया:  पैगंबर (स,) को डर था कि मदीना के लोगों में कहीं इख्तेलफ़ और फितना हो सकता है। *
 * इमाम: कोई बात नहीं, भले ही फितना और फसाद पैदा हो जाता , लेकिन जब अल्लाह के रसूल मदीना लौट आते, तो वो  इसे सही कर देते। *
 * इब्ने रामीन: उन्होंने जो काम किया वह उचित और बेहतर था *
 इमाम: तो इस आधार पर, पैगंबर (स,) ने किसी को अपनी वफात के बाद भी अपना जानशीन के रूप में मुंतखब किया होगा? *
 * इब्ने Ramin: नहीं *

 इमाम: क्या रसूले खोदा की वफात सफर से ज़यादा मुहिम नहीं थी? यह कैसे मुमकिन है कि जब अल्लाह के रसूल जीवन में सफर पर जाते हैं, तो उम्मत में फसाद और फितने का खतरा होता है, और जब वह उसके बाद ओखरवी सफर पर जाते है, तो वह अपने उम्मत के फसाद और फीतने से संतुष्ट होते हैैं?
 * इस प्रकार इमाम (अ.स.) ने इब्न रामिन ,के होठों पर चुप्पी का ताला लगा दिया *

 * • ⊰⊰✿✿⊱⊱ • •• *

 * *। बिहार अल-अनवर जिल्द 23 पृष्ठ 75 *
share please
contact us
+989056936120
https://chat.whatsapp.com/FIWUARZSWJ3CRi91NbEeZr

 * • ⊰⊰✿✿⊱⊱ • •• *
 اللھم صل علي محمد و آل محمد وعجل فرجھم📿 *
 * • ⊰⊰✿✿⊱⊱ • •• *

*🌹✨✨✨بسمہ تعالی🌹✨✨✨*
   

  *🌹امام رضا علیہ السلام کا مناظرہ🌹*



*حضرت امام علی رضا علیہ السلام ابن رامین ( فقیہ) سے سوال کرتے ہیں کہ اے ابن رامین!ذرا یہ تو بتاؤ کہ جب رسول خدا صلی اللہ علیہ و آلہ وسلم نے مدینہ چھوڑا تو کسی کو اپناجانشین بنایا تھا یا نہیں؟*
*ابن رامین نے جواب دیا:حضرت علی علیہ السلام کو اپنا جانشین بنایا تھا*
*پھرامام رضا علیہ السلام نے سوال کیا:اے رامین توکیوں آنحضرت نے مدینہ والوں کو یہ حکم نہیں دیا کہ وہ خود کسی کو جانشین منتخب کرلیں جبکہ تمہارے گمان میں تم لوگوں کا کسی مسئلہ پر اجتماع  غلط نہیں ہوسکتا*
*ابن رامین نے جواب دیا: کہ نبی اکرم صلی اللہ علیہ و آلہ وسلم کو خوف تھا کہ  کہیں مدینہ  والوں کے درمیان  اختلاف اور فتنہ برپا نہ ہوجاے*
*امام: کوئی بات نہیں، اگرچہ فتنہ و فسادبرپا ہوجاتا  لیکن  جب اللہ کے رسول مدینہ واپس آجاتے تو اصلاح فرما دیتے*
*ابن رامین: آنحضرت نے جو کام انجام دیا وہ مناسب اور بہترتھا*
*امام: تو اسی بنیاد پر رسول خدا صلی اللہ علیہ و آلہ وسلم نےاپنی وفات کے بعد بھی کسی کو اپنا جانشین مقرر کیا ہوگا؟*
*ابن رامین: نہیں*
*امام: کیا رسول خدا کی وفات سفر سے زیادہ مہم نہیں تھی؟  يہ کیسے ممکن ہیکہ اللہ کے رسول جب زندگی میں سفر پر جائیں تو امت میں اختلاف اور فساد کا خطرہ ہو اور جب اخروی سفر پر جائیں تو اپنی امت کے اختلاف و فساد سے مطمئن ہوں*
*اسطرح امام علیہ السلام نے ابن  رامین کے لبوں پر سکوت کا قفل(تالا) لگا دیا(1)*

*•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈••*

*📚1۔بحار الانوار جلد 23 صفحہ 75*

*•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈┈••*
*📿اللھم صل علی محمد وآل محمد وعجل فرجھم📿*
*•┈┈•┈┈•┈┈••⊰⊰✿✿⊱⊱••┈┈•┈┈•┈

Comments

Popular posts from this blog

अमाले शबे कद्र हिंदी,amaal e shab e qadr in hindi,

Amaal-e-Shab-e-Qadr in Hindi* उन्नीसवी रात यह शबे क़द्र की पहली रात है और शबे क़द्र के बारे में कहा गया है कि यह वह रात है जो पूरे साल की रातों से अधिक महत्व और फ़ज़ीलत रखती है, और इसमें किया गया अमल हज़ार महीनों के अमल से बेहतर है शबे क़द्र में साल भर की क़िस्मत लिखी जाती है और इसी रात में फ़रिश्ते और मलाएका नाज़िल होते हैं और इमाम ज़माना (अ) की ख़िदमत में पहुंचते हैं और जिसकी क़िस्मत में जो कुछ लिखा गया होता है उसको इमाम ज़माना (अ) के सामने पेश करते हैं। इसलिए हर मुसलमान को चाहिए कि इस रात में पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करे और दुआएं पढ़ता रहे और अपने आने वाले साल को बेहतर बनाने के लिए अल्लाह से दुआ करे। शबे क़द्र के आमाल दो प्रकार के हैं: एक वह आमाल हैं जो हर रात में किये जाते हैं जिनको मुशतरक आमाल कहा जाता है और दूसरे वह आमाल हैं जो हर रात के विशेष आमाल है जिन्हें मख़सूस आमाल कहा जाता है। वह आमाल जो हर रात में किये जाते हैं 1⃣ *ग़ुस्ल* (सूरज के डूबते समय किया जाए और बेहतर है कि मग़रिब व इशा की नमाज़ को इसी ग़ुस्ल के साथ पढ़ा जाय) 2⃣ दो रकअत नमाज़, जिसकी हर रकअत में एक बार सूरह *

बकरा ईद की नमाज़ का तरीक़ा।

 बकरा ईद की नमाज़* १. बकरा ईद की नमाज़ को जमाअत  के अलावा फुरादा नमाज़ करके भी अदा किया जा  सकता है । २.बकरा ईद की नमाज़ ज़ोहर से पहले कभी भी पढ़ी जा सकती है । ३. ये दो रकात की नमाज़ होगी  बस नियत करें की *नमाज़ ए बकरा ईद  पढ़ता हूं सुन्नत कुरबतन इल्लल्लाह* । पहली रकात में सुर ए अलहमद के बाद  सुरा ए अल-आला पढ़ें  *बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निररहिम* *सब्बे हिसमा रब्बिकल आ’ला अल्लज़ी ख़लक़ा फ़सव्वा वल्लज़ी क़द दरा फ़हादा वल्लज़ी अख़रजल मर’आ फजा'अलहु ग़ोसाअन अहवा सनुक़रेओका फला तनसा, इल्ला माँशा'अल्लाहो इन्ना हु यालामुल जहरा वमा यखफ़ा वनोयस्सीरुका लिल्युसरा फज़क्किर इन नफ़ा'अतिज़्ज़िकरा सयज़्ज़क्करो मयीं यख़शा व यतजन्नबोहल अशक़ा अल्लज़ी यस्लन नारल कुबरा सुम्मा ला यमूतो फीहा वला यहया क़द अफ़लहा मन तज़क्का वज़ाकरस मा रब्बेही फसल्ला बल तुअसेरूनल हयातद दुनिया वल आखीरतु खैरुन व अबक़ा इन्ना हाज़ा लफीस्सुहुफिल ऊला सुहुफ़े इब्राहीमा वा मूसा* । इसके बाद 5 बार तकबीर ‌*अल्लाह हो अकबर * कहे और हर तकबीर के बाद हाथ उठाकर नीचे दी हुई दूआ पढे़ याद रहे 5 बार पढ़नी है ये दुआ  *अल्ला हुम्मा अहलल किब

amal e shabe 15shbaan

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🎍💐🌹आमाले शब-ए-बारात  🌹💐🎍 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पन्द्रहवीं शब के आमाल की फजीलत बहुत है इस शब गुस्ल करे और इस शब की बरकतों में एक यह भी है कि इस रात इमाम मोहम्मद मेंहदी अलैहिस्सलाम की विलादत हुई है  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 💐इस रात में कुछ नमाजे और कुछ दुआए है जो हम को अदा करनी चाहिए 🌹🌹जैसे🌹🌹⤵️ 💐इन को अदा करने के दो तरीके हैं ⤵️ 💐पहला तरीका है के दो दो कर के दस रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर-ए-फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद दस बार सूर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े  💐दूसरा तरीका है के दो दो कर के चार रकात नमाज़ पढ़े हर रकात में सूर ए फातिहा यानी सुर-ए-हम्द के बाद सौ बार सुर-ए-कुल-हो-वल्लाह पढ़े                  💐इस नमाज़ की नीयत इस तरह करे ⤵️ 💐दो रकात नमाज पढता / पढ़ती हूँ ( निमे शाबान कुर - बतन इलल्लाह ) 💐और इस तरह इस नमाज़ को अदा करे फिर तस्बी-ए-फातिमा पढ़े 🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 💐अब इस के बाद में कुछ तस्बी है जो हम को अदा करनी है ⤵️ 💐(1)💐  सुब्हानाल्लाह 💐(2) 💐अल्हम्दो लिल्लाह  💐(3) 💐अल्लाहो अकबर 💐(4) 💐ला इलाहा इल्लल्लाह 💐इमाम मुहम्मद बाक़